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शुक्रवार, 18 जनवरी 2019

मरणासन व्यक्ति को ठीक करने का तन्त्र | Totka for severe health issue to recover | Health totka treatment

यह तन्त्र प्राचीन समय में बहुत ही ज्यादा प्रयोग किया जाता था और लोग नीम हकीम के चक्कर में नहीं पड़ते थें | यह प्रयोग बिलकुल आसन हैं और इसमें खर्चे की कोई गुंजाईश ही नहीं अर्थात यह तन्त्र बिलकुल फ्री में किया जा सकता हैं और रुपया खर्चे की अगर बात करें तो ज्यादा से ज्यादा 1 से 5 रुपया तक ही और मरणासन व्यक्ति बिल्कुल ठीक हो जायेगा जरूरत हैं तो वो हैं केवल विश्वास की |





एक बार मेरे रिश्तेदार की माँ की तबियत बहुत ही बिगड़ गयी थी और उसे कई डॉक्टर्स को भी दिखाया परन्तु कोई लाभ ना मिला बल्कि उनकी माँ की तबियत और ज्यादा खराब हो गयी और अंत में उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती करवाना पड़ा कई दिनों तक इलाज़ चला लेकिन कोई आराम नहीं मिला और अंत में डॉक्टर्स ने उनको हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया और कहा की अब इनकी सेवा करो ज्यादा दिन नहीं हैं इनके | बेचारे हारे थके उनको घर ले आये और उनकी सेवा करने लगे फिर अचानक उनको मेरी याद आयी की शायद कोई हल ही मिल जाये, आखिर दुखी-परेशान मन कोई न कोई उपाय की खोज तो करता ही रहता हैं | अगले ही दिन सवेरे सवेरे वे मेरे पास आये और अपनी परेशानी बतायी | उनकी वो परेशानी सुनकर जैसा उपाय मैंने उनको करने को कहा उन्होंने ठीक वैसा ही किया और फिर वे खुद ही मेरे पास शुभ समाचार लेकर आये कि जैसे जैसे मैंने उन्हें बताया उन्होंने बिल्कुल वैसा ही किया और ये सब किसी चमत्कार से कम नहीं था | जिसे आधुनिक मेडिकल साइंस कुछ ही घंटो का मेहमान मान रही थी जो की अपनी मरणासन स्थिति से हिल भी नहीं सकती थी वही औरत बिल्कुल स्वस्थ होकर फिर अपने पैरों पर चल पड़ी | उन्होंने मेरा इतना आभार व्यक्त किया और सम्मान किया की कहने को शब्द ही कम पद जाते हैं |

तो चलिए आपको भी बता देतें हैं वो कोन सा उपाय हैं जो किसी भी मरणासन व्यक्ति को भी बचा सकता हैं अकाल मृत्यु से |

उपाय :-

सबसे पहले आप या जो व्यक्ति यह प्रयोग करने वाला हैं वह पहले तो नहाले और साफ़ कपड़े पहन कर घर में बने मंदिर या कोई भी साफ़ स्वच्छ जगह पर बैठ कर अपनी कुल देवी देवता आदि को प्रार्थना करे और माँ गायत्री दुर्गा से भी प्रार्थना करे की आपका कार्य सफल हो फिर प्रयोगकर्ता 108 बार गायत्री मन्त्र का जाप करे और फिर आगे की विधि करे जो इस प्रकार से हैं-

मरणासन व्यक्ति जो किसी चारपाई, खाट, बेड या पलंग पर लेटा हो उसकी उसी खाट में से बान (जेवड़ी या रस्सी जो की नारियल की जटाओ की बनी होती हैं और आज भी कई गावों में व् शहरो में खाट या चारपाई बनाने में इस्तेमाल की जाती हैं ) एक बड़ा सा टुकड़ा निकाल लो | यदि वो व्यक्ति किसी खाट पर नही लेटा हुआ हैं तो किसी भी खाट की बान/जेवड़ी/रस्सी का इस्तेमाल कर सकतें हैं | अब उस जेवड़ी को रोगी के सिर से पैर तक नाप लो यानी वो बान/जेवड़ी/रस्सी रोगी की लम्बाई के बराबर काट कर लो | आप अब उस बान/जेवड़ी/रस्सी के दोनों सिरों को पकड़ कर उस बान/जेवड़ी/रस्सी को दुलड यानी दोनो सिरों को मिला लो |

और उस बान/जेवड़ी/रस्सी को सरसोँ के तेल में भीगा लो | फिर उस बान/जेवड़ी/रस्सी को रोगी के सिर हाथ कंधे पैर सभी जगह छुआते हुए 7 बार रोगी से ऊपर से उतारा करे और मन ही मन ये मन्त्र पढ़े –

नासै रोग हरे सब पीरा |
जपत निरन्तर हनुमत वीरा ||

या फिर यह मन्त्र पढ़े –

रोगान शेषान पहंसी तुष्टा रुष्टातु कमान सकलान भोष्टान |
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्या श्रयन्ता पर्यान्ति ||



और उस बान/जेवड़ी/रस्सी को रोगी के पैरो की तरफ उस रोगी से थोड़ी दूर किसी किल आदि पर टांग दे या किसी चाकू या लोहे की छड़ी से उसे रोगी की पैरो की दिशा में पकड़ कर खड़े हो जाये और उस बान/जेवड़ी/रस्सी के दोनों सिरों में आग लगा दें | आग की लपटें तेज़ी से ऊपर की और बढ़ेगी और उसमे सर्र सर्र की आवाज़ आएगी | आप निचे जमींन पर कोई बर्तन या मिट्टी पहले से ही रख ले क्योंकि बान/जेवड़ी/रस्सी जलते समय तेल की बुँदे निचे गिरती रहेगी | रोगी को पहले ही बता देना चाहिए को वह उस बान/जेवड़ी/रस्सी को जलते हुए देखें | यह प्रयोग रोगी के पैरो की तरफ उससे थोड़ी दूर करना चाहिए और आस पास कोई अन्य कपडा आदि नहीं होना चाहिए नहीं तो आग फ़ैल सकती हैं | बस इतना सा प्रयोग करना हैं और वो रोगी थोड़े ही समय में बिल्कुल ठीक हो जायेगा | और आपको दुआये मिलेगी | नज़र के रोगी (जिनको किसी की बुरी नज़र लग जाती हैं ) को भी इसी प्रयोग के द्वारा ठीक किया जा सकता हैं |

इसी तन्त्र प्रयोग से आप पशुओं की पीड़ा भी दूर कर सकते हैं जैसे नजर लगना , दूध न देना, आलस करना या अन्य कोई भी पीड़ा हो सब इसी प्रयोग से ठीक हो जाएगी |

Source: eBook Part 2





|| किसी को पीड़ा ना पहुचाना 
बल्कि किसी की पीड़ा दूर करना ही मानवता हैं | 
भला वह स्वयं आपका शत्रु ही क्यों न हो ||

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