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शुक्रवार, 26 नवंबर 2021

Sidh Kunjika Satotra Mantra Jaap Vidhi सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ / सिद्धकुंजिका मंत्र जप विधि

 सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ / सिद्धकुंजिका मंत्र जप विधि

  श्री दुर्गा सप्तशती में से हम आपको एक एसा पाठ बता रहे हैं, जिसके करने से आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। इस पाठ को करने के बाद आपको किसी अन्य पाठ की आवश्यकता नहीं होगी। यह पाठ है.. सिद्धकुंजिकास्तोत्रम्। समस्त बाधाओं को शांत करने, शत्रु दमन, ऋण मुक्ति, करियर, विद्या, शारीरिक और मानसिक सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो सिद्धकुंजिकास्तोत्र का पाठ अवश्य करें। श्री दुर्गा सप्तशती में यह अध्याय सम्मिलित है। यदि समय कम है तो आप इसका पाठ करके भी श्रीदुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जैसा ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। नाम के अनुरूप यह सिद्ध कुंजिका है। जब किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा हो, समस्या का समाधान नहीं हो रहा हो, तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करिए। भगवती आपकी रक्षा करेंगी।

Sidh Kunjika Satotra Mantra Jaap Vidhi सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ / सिद्धकुंजिका मंत्र जप विधि


शिव उवाच

शृणु देवि प्रवक्ष्यामि कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।

येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजाप:भवेत्।।1।।

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।

न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्।।2।।

कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।

अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्।।3।।

गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।

मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।

पाठमात्रेण संसिद्ध् येत् कुंजिकास्तोत्रमुत्तमम्।।4।।


अथ मंत्र:-

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:

ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।''


।।इति मंत्र:।।


नमस्ते रुद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।

नम: कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिन।।


नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिन।

जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरुष्व मे।


ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।

क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते।


चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।

विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मंत्ररूपिण।।


धां धीं धू धूर्जटे: पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।

क्रां क्रीं क्रूं कालिका देविशां शीं शूं मे शुभं कुरु।।


हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः।।


अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।


पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।

सां सीं सूं सप्तशती देव्या मंत्रसिद्धिंकुरुष्व मे।।


इदंतु कुंजिकास्तोत्रं मंत्रजागर्तिहेतवे।

अभक्ते नैव दातव्यं गोपितं रक्ष पार्वति।।


यस्तु कुंजिकया देविहीनां सप्तशतीं पठेत्।

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।


।इतिश्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वती संवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम्।


कुंजिका संक्षिप्त मंत्र

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥

(सामान्य रूप से हम इस मंत्र का पाठ करते हैं लेकिन संपूर्ण मंत्र केवल सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में है) 

 

कुंजिका संपूर्ण मंत्र यह है

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। 

ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल 

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

 

कुंजिका मंत्र जप कैसे करें 

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को अत्यंत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए। प्रतिदिन की पूजा में इसको शामिल कर सकते हैं। लेकिन यदि अनुष्ठान के रूप में या किसी इच्छाप्राप्ति के लिए कर रहे हैं तो आपको कुछ सावधानी रखनी होंगी।

1. संकल्प: सिद्ध कुंजिका पढ़ने से पहले हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर संकल्प करें। मन ही मन देवी मां को अपनी इच्छा कहें।

2. जितने पाठ एक साथ (1, 2, 3, 5. 7. 11) कर सकें, उसका संकल्प करें। अनुष्ठान के दौरान माला समान रखें। कभी एक कभी दो कभी तीन न रखें।

3. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के अनुष्ठान के दौरान जमीन पर शयन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।

4. प्रतिदिन अनार का भोग लगाएं। लाल पुष्प देवी भगवती को अर्पित करें।

5. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में दशों महाविद्या, नौ देवियों की आराधना है।


 सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ का समय

1. रात्रि 9 बजे करें तो अत्युत्तम।

2. रात को 9 से 11.30 बजे तक का समय रखें।


  सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ के लिए आसन

लाल आसन पर बैठकर पाठ करें


  सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ के लिए दीपक

घी का दीपक दायें तरफ और सरसो के तेल का दीपक बाएं तरफ रखें। अर्थात दोनों दीपक जलाएं किस इच्छा के लिए कितने पाठ करने हैं


 सिद्धकुंजिका स्तोत्र के पाठ जप संख्या

1.विद्या प्राप्ति के लिए....पांच पाठ ( अक्षत लेकर अपने ऊपर से तीन बार घुमाकर किताबों में रख दें)

2. यश-कीर्ति के लिए.... पांच पाठ ( देवी को चढ़ाया हुआ लाल पुष्प लेकर सेफ आदि में रख लें)

3. धन प्राप्ति के लिए....9 पाठ ( सफेद तिल से अग्यारी करें)

4.मुकदमे से मुक्ति के लिए...सात पाठ ( पाठ के बाद एक नींबू काट दें। दो ही हिस्से हों ध्यान रखें। इनको बाहर अलग-अलग दिशा में फेंक दें)

5. ऋण मुक्ति के लिए....सात पाठ ( जौं की 21 आहुतियां देते हुए अग्यारी करें। जिसको पैसा देना हो या जिससे लेना हो, उसका बस ध्यान कर लें)

6. घर की सुख-शांति के लिए...तीन पाठ ( मीठा पान देवी को अर्पण करें)

7.स्वास्थ्यके लिए...तीन पाठ ( देवी को नींबू चढाएं और फिर उसका प्रयोग कर लें)

8.शत्रु से रक्षा के लिए..., 3, 7 या 11 पाठ ( लगातार पाठ करने से मुक्ति मिलेगी)

9. रोजगार के लिए...3,5, 7 और 11 ( एच्छिक) ( एक सुपारी देवी को चढाकर अपने पास रख लें)

10.सर्वबाधा शांति-  तीन पाठ (  लोंग के तीन जोड़े अग्यारी पर चढ़ाएं या देवी जी के आगे तीन जोड़े लोंग के रखकर फिर उठा लें और खाने या चाय में प्रयोग कर लें। 

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रविवार, 21 नवंबर 2021

Jaharveer goga ji Slami Mantra | जाहरवीर गोगा सलामी मन्त्र

नमस्कार दोस्तों यह एक सलाम भी मंत्र है और इस मंत्र का प्रयोग अक्सर पूजा-पाठ में किया जाता है आप ध्यान देना कि क्या कभी आपके गुरु ने आपको यह शब्द बताएं हैं और जो भी भाई भक्ताई करता है वह अक्सर इन शब्दों को अपनी पूजा पाठ में शामिल करता है दुख इस बात का कि आजकल लोग भक्ताई तो करने लग गए गुरु भी बहुत हो गए लेकिन कोई भी इन्हें सही ज्ञान नहीं बताता है मैं भी शुरुआत में एक अच्छे उद्देश्य के साथ में ब्लॉग शुरू किया और यूट्यूब पर चैनल पर बनाया जिसमें आप रिकॉर्ड में देख सकते हो कि शरीर में देवी देवता आने जैसे संबंधित वीडियो और उनकी क्या क्या गतिविधियां होती हैं क्या क्या उनमें पाखंड होते हैं और किस तरह से नए भगत से गलत काम करवाए जाते हैं या उनके साथ गुरु के द्वारा ही गलत हो जाता है और ऐसे में जो भगत बन रहा होता है तो उसकी पीढ़ी और व स्वयं दुःख दुविधाओं और परेशानियों से घिरा रहता है तो यह एक मेरा प्रयास है कि मैं आप लोगों को वह उस शब्द से भी परिचित करवाओ जो की अक्सर पूजा में शामिल किया जाता है यहां जो भी भाई या बहन भगत या भक्ताईन बनती है तो उसे गुरु के द्वारा पूजा पाठ के तौर तरीके में कुछ विशेष बात सिखाई जाती है| जैसा कि मैंने पहले भी बताया था की एक साधारण इंसान अपने घर में बने मंदिर में धूप दीप अगरबत्ती पूजा-अर्चना जो भी करता हो तो वह अपने साधारण तौर तरीके से करता है लेकिन जब बात आती है कि आप में किसी देवी देवता या पितृ की सवारी आती है तो ऐसे में आपको आपके होने वाले गुरु पूजा में जरूर बदलाव करवाते हैं और पूजा के दौरान बोले जाने वाले शब्दों का जरूर ज्ञान करवाते हैं तो यहां पर मैं आप लोगों के लिए उन भक्तों की लिए वह पूजा के शब्द बता रहा हूं जो कि जाहरवीर गोगा जी, नीली घोड़ी वाले, बागड़ वीर, को मानते हैं या वे उनके कुल देवता है या उनकी उसमें आस्था है अथवा  जाहरवीर गोगा जी की सवारी उनमे आती है | तो आपके सामने यह है वह शब्द जो कि मैंने अभी पूरा नहीं लिखा है सिर्फ कुछ लाइनें ही मैंने उसमें हटाई है ताकि आपको यह ज्ञान हो सके कि ऐसा भी शब्द होता है जो की पूजा में पूजा के दौरान कहा जाता है और आप में आने वाले शक्ति कोई भी देवी देवता या पिक्चर तो वह इससे खुश होते हैं और आप पर असीम कृपा बनाए रखते हैं और साथ ही आपसे साथ ही आपको होने वाले किसी भी प्रकार की बाधा यह धोखे से वे स्वयं बचा कर रखते हैं और इसीलिए आजकल गुरु लोग इन शब्दों को नहीं बताते हैं और अभी तक जो भी भाई या भगत हम से जुड़ा है शाबर मंत्र दीक्षा जिन्होंने प्राप्त की है तो उन्हें हम हर बारीक से बारीक बात विशेष मंत्र वह साधना करवाते रहते हैं चाहे उनके पहले कितनी ही गुरु रह चुके |

Jaharveer goga ji Slami Mantra | जाहरवीर गोगा सलामी मन्त्र


ॐ नमो आदेश गुरु को आदेश 

धरती माता को सलाम

पिता आकास को सलाम

पवन-पानी को सलाम 

चाँद सूरज को सलाम 

तारा मंडल को सलाम 

गुरु गोरख को सलाम 

नव नाथा को सलाम 

चौरास्सी सिद्धो को सलाम 

गढ़ ददरेवा को सलाम 

दादे उमर को सलाम 

पिता जेवर को सलाम 

माता बाच्छल को सलाम 

रानी सरियल को सलाम 

जोड़ भायो को सलाम 

धौली देवी को सलाम

लम्बे ध्वज को सलाम 

नीले घोड़े को सलाम 

नगरकोट वाली को सलाम 

..........भगत को सलाम


bhagat ki bhagtai

महाकाली साबर मन्त्र साधना




शाबर मन्त्र महाशास्त्र 23 भाग डाउनलोड


सोमवार, 15 नवंबर 2021

Mantra Sadhna ki Jaruri Points | मन्त्र साधना से संबंधित जरूरी बातें

बातें छोटी-छोटी तो अवश्य हैं, परन्तु आपको यदि इन बातों का ज्ञान नहीं है तो आपको साधना में असफलता का मुँह देखना पड़ सकता है। अतः इन्हें अवश्य याद रखें |

Mantra Sadhna ki Jaruri Points | मन्त्र साधना से संबंधित जरूरी बातें


  1. जिस आसन पर आप अनुष्ठान, पूजा या साधना करते हैं, उसे कभी पैर से नहीं सरकाना चाहिए। कुछ लोगों की आदत होती है कि आसन पर बैठने के पहले खड़े-खड़े ही आसन को पैर से सरका कर अपने बैठने के लिए व्यवस्थित करते हैं। ऐसा करने से आसन दोष लगता है और उस आसन पर की जाने वाली साधनाएँ सफल नहीं होती है। अतः आसन को केवल हाथों से ही बिछाएं।

Chaitra navratri 2024 muhurat, pooja

चैत्र नवरात्रि 2024: तिथियाँ, महत्व, और धार्मिक अनुष्ठान हिन्दू धर्म में चैत्र नवरात्रि का आयोजन 9 अप्रैल से 17 अप्रैल तक होगा। इस महत्वपूर्...