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गुरुवार, 23 जून 2022

Siddha Kunjika Stotram : Key to Success of Life | जीवन की सफलता की कुंजी: सिद्ध कुंजिका स्तोत्र | गुप्त नवरात्रि का महापर्व 30 जून 2022

जीवन की सफलता की कुंजी दुर्गा सप्तशती: सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम्  

गुप्त नवरात्रि का महापर्व 30 जून 2022

Siddha Kunjika Stotram : Key to Success of Life | जीवन की सफलता की कुंजी: सिद्ध कुंजिका स्तोत्र


दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र प्रभाव दिखाने वाला स्तोत्र है। जो लोग पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वे केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करेंगे तो उससे भी संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल मिल जाता है। जीवन में किसी भी प्रकार के अभाव, रोग, कष्ट, दुख, दारिद्रय और शत्रुओं का नाश करने वाले सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ नवरात्रि में अवश्य करना चाहिए। लेकिन इस स्तोत्र का पाठ करने में कुछ सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखा जाना आवश्यक है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि

कुंजिका स्तोत्र का पाठ वैसे तो किसी भी माह, दिन में किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में यह अधिक प्रभावी होता है। कुंजिका स्तोत्र साधना भी होती है, लेकिन यहां हम इसकी सर्वमान्य विधि का वर्णन कर रहे हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रतिदिन इसका पाठ किया जाता है। इसलिए साधक प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान को साफ करके लाल रंग के आसन पर बैठ जाए। अपने सामने लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर देवी दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सामान्य पूजन करें।

अपनी सुविधानुसार तेल या घी का दीपक लगाए

अपनी सुविधानुसार तेल या घी का दीपक लगाए और देवी को हलवे या मिष्ठान्न् का नैवेद्य लगाएं। इसके बाद अपने दाहिने हाथ में अक्षत, पुष्प, एक रुपए का सिक्का रखकर नवरात्रि के नौ दिन कुंजिका स्तोत्र का पाठ संयम-नियम से करने का संकल्प लें। यह जल भूमि पर छोड़कर पाठ प्रारंभ करें। यह संकल्प केवल पहले दिन लेना है। इसके बाद प्रतिदिन उसी समय पर पाठ करें।


सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के लाभ

धन लाभ जिन लोगों को सदा धन का अभाव रहता हो। लगातार आर्थिक नुकसान हो रहा हो। बेवजह के कार्यों में धन खर्च हो रहा हो उन्हें कुंजिका स्तोत्र के पाठ से लाभ होता है। धन प्राप्ति के नए मार्ग खुलते हैं। धन संग्रहण बढ़ता है।
शत्रु मुक्ति शत्रुओं से छुटकारा पाने और मुकदमों में जीत के लिए यह स्तोत्र किसी चमत्कार की तरह काम करता है। नवरात्रि के बाद भी इसका नियमित पाठ किया जाए तो जीवन में कभी शत्रु बाधा नहीं डालते। कोर्ट-कचहरी के मामलों में जीत हासिल होती है।
रोग मुक्ति दुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जीवन से रोगों का समूल नाश कर देते हैं। कुंजिका स्तोत्र के पाठ से न केवल गंभीर से गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है, बल्कि रोगों पर होने वाले खर्च से भी मुक्ति मिलती है।
कर्ज मुक्ति यदि किसी व्यक्ति पर कर्ज चढ़ता जा रहा है। छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है, तो कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ जल्द कर्ज मुक्ति करवाता है।
सुखद दांपत्य जीवन दांपत्य जीवन में सुख-शांति के लिए कुंजिका स्तोत्र का नियमित पाठ किया जाना चाहिए। आकर्षण प्रभाव बढ़ाने के लिए भी इसका पाठ किया जाता है।
 

इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक

देवी दुर्गा की आराधना, साधना और सिद्धि के लिए तन, मन की पवित्रता होना अत्यंत आवश्यक है। साधना काल या नवरात्रि में इंद्रिय संयम रखना जरूरी है। बुरे कर्म, बुरी वाणी का प्रयोग भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इससे विपरीत प्रभाव हो सकते हैं।
कुंजिका स्तोत्र का पाठ बुरी कामनाओं, किसी के मारण, उच्चाटन और किसी का बुरा करने के लिए नहीं करना चाहिए। इसका उल्टा प्रभाव पाठ करने वाले पर ही हो सकता है।
साधना काल में मांस, मदिरा का सेवन न करें। मैथुन के बारे में विचार भी मन में न लाएं।
श्री दुर्गा सप्तशती में से हम आपको एक एसा पाठ बता रहे हैं, जिसके करने से आपकी सारी समस्याएं दूर हो जाएंगी। इस पाठ को करने के बाद आपको किसी अन्य पाठ की आवश्यकता नहीं होगी। यह पाठ है..सिद्धकुंजिकास्तोत्रम्। समस्त बाधाओं को शांत करने, शत्रु दमन, ऋण मुक्ति, करियर, विद्या, शारीरिक और मानसिक सुख प्राप्त करना चाहते हैं तो सिद्धकुंजिकास्तोत्र का पाठ अवश्य करें। श्री दुर्गा सप्तशती में यह अध्याय सम्मिलित है। यदि समय कम है तो आप इसका पाठ करके भी श्रीदुर्गा सप्तशती के संपूर्ण पाठ जैसा ही पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। नाम के अनुरूप यह सिद्ध कुंजिका है। जब किसी प्रश्न का उत्तर नहीं मिल रहा हो, समस्या का समाधान नहीं हो रहा हो, तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करिए। भगवती आपकी रक्षा करेंगी।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र की महिमा

भगवान शंकर कहते हैं कि सिद्धकुंजिका स्तोत्र का पाठ करने वाले को देवी कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और यहां तक कि अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका के पाठ मात्र से दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र : क्यों है सिद्ध

इसके पाठ मात्र से मारण, मोहन, वशीकरण, स्तम्भन और उच्चाटन आदि उद्देश्यों की एक साथ पूर्ति हो जाती है। इसमें स्वर व्यंजन की ध्वनि है। योग और प्राणायाम है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र संक्षिप्त मंत्र

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥ ( सामान्य रूप से हम इस मंत्र का पाठ करते हैं लेकिन संपूर्ण मंत्र केवल सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में है)

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र संपूर्ण मंत्र

ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ऊं ग्लौं हुं क्लीं जूं स: ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ कैसे करें

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र को अत्यंत सावधानी पूर्वक किया जाना चाहिए। प्रतिदिन की पूजा में इसको शामिल कर सकते हैं। लेकिन यदि अनुष्ठान के रूप में या किसी इच्छाप्राप्ति के लिए कर रहे हैं तो आपको कुछ सावधानी रखनी होंगी।
1 संकल्प: सिद्ध कुंजिका पढ़ने से पहले हाथ में अक्षत, पुष्प और जल लेकर संकल्प करें। मन ही मन देवी मां को अपनी इच्छा कहें।
2 जितने पाठ एक साथ ( 1, 2, 3, 5. 7. 11) कर सकें, उसका संकल्प करें। अनुष्ठान के दौरान माला समान रखें। कभी एक कभी दो कभी तीन न रखें।
3 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के अनुष्ठान के दौरान जमीन पर शयन करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें।
4 प्रतिदिन अनार का भोग लगाएं। लाल पुष्प देवी भगवती को अर्पित करें।
5 सिद्ध कुंजिका स्तोत्र में दशों महाविद्या, नौ देवियों की आराधना है।

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के पाठ का समय
रात्रि 9 बजे करें तो अत्युत्तम।
2 रात को 9 से 11.30 बजे तक का समय रखें।

आसन
लाल आसन पर बैठकर पाठ करें

दीपक
घी का दीपक दायें तरफ और सरसो के तेल का दीपक बाएं तरफ रखें। अर्थात दोनों दीपक जलाएं

किस इच्छा के लिए कितने पाठ करने हैं सिद्ध कुंजिका स्तोत्र के

1 विद्या प्राप्ति के लिए....पांच पाठ ( अक्षत लेकर अपने ऊपर से तीन बार घुमाकर किताबों में रख दें)
2 यश-कीर्ति के लिए.... पांच पाठ ( देवी को चढ़ाया हुआ लाल पुष्प लेकर सेफ आदि में रख लें)
3 धन प्राप्ति के लिए....9 पाठ ( सफेद तिल से अग्यारी करें)
4 मुकदमे से मुक्ति के लिए...सात पाठ ( पाठ के बाद एक नींबू काट दें। दो ही हिस्से हों ध्यान रखें। इनको बाहर अलग-अलग दिशा में फेंक दें)
5 ऋण मुक्ति के लिए....सात पाठ ( जौं की 21 आहुतियां देते हुए अग्यारी करें। जिसको पैसा देना हो या जिससे लेना हो, उसका बस ध्यान कर लें)
6 घर की सुख-शांति के लिए...तीन पाठ ( मीठा पान देवी को अर्पण करें)
7 स्वास्थ्यके लिए...तीन पाठ ( देवी को नींबू चढाएं और फिर उसका प्रयोग कर लें)
8 शत्रु से रक्षा के लिए..., 3, 7 या 11 पाठ ( लगातार पाठ करने से मुक्ति मिलेगी)
9 रोजगार के लिए...3,5, 7 और 11 ( एच्छिक) ( एक सुपारी देवी को चढाकर अपने पास रख लें)
10 सर्वबाधा शांति- तीन पाठ ( लोंग के तीन जोड़े अग्यारी पर चढ़ाएं या देवी जी के आगे तीन जोड़े लोंग के रखकर फिर उठा लें और खाने या चाय में प्रयोग कर लें।


Siddha Kunjika Stotram : Key to Success of Life | जीवन की सफलता की कुंजी: सिद्ध कुंजिका स्तोत्र

॥ दुर्गा सप्तशती: सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् ॥
शिव उवाच:
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत ॥1॥

न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम् ॥2॥

कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत् ।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम् ॥3॥

गोपनीयं प्रयत्‍‌नेनस्वयोनिरिव पार्वति ।
मारणं मोहनं वश्यंस्तम्भनोच्चाटनादिकम् ।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत्कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम् ॥4॥

॥ अथ मन्त्रः ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे ॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा ॥

॥ इति मन्त्रः ॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि ।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि ॥1॥

नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि ।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे ॥2॥

ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते ॥3॥

चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी ।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि ॥4॥

धां धीं धूं धूर्जटेः पत्‍‌नी वां वीं वूं वागधीश्‍वरी ।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु ॥5॥

हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी ।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः ॥6॥

अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा ॥7॥

पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा ।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥8॥

इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रंमन्त्रजागर्तिहेतवे ।
अभक्ते नैव दातव्यंगोपितं रक्ष पार्वति ॥
यस्तु कुञ्जिकाया देविहीनां सप्तशतीं पठेत् ।
न तस्य जायतेसिद्धिररण्ये रोदनं यथा ॥

॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

 

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रविवार, 5 जून 2022

SHABAR MANTRA DIKSHA | ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या

 ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या

 


अब हमारे द्वारा ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या कार्यक्रम की शुरूआत की गयी है जिसमे आप शामिल होकर ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या को ग्रहण कर सकते है और स्वयं का तथा अन्य लोगो को कष्टों से मुक्त करवा कर खुशहाल जिन्दगी के लिए प्रेरित करेंगे और होंगे |

हमारे द्वारा संचालित “पावरफुल शाबर मन्त्र” ब्लॉग और यू-ट्यूब चैनल के द्वारा अभी तक बहुत से लोगो की समस्याओ का समाधान करने के बाद और हमसे जुड़े चुनिन्दा शाबर मन्त्र सिद्ध करने वाले साधको को समय समय पर “विशेष” शाबर मन्त्र प्रयोग और शंका समाधान करने के बाद अब हम अपने “ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या” कार्यक्रम की शुरूआत कर रहे है | जिसमे आप श्री शाबर मन्त्र साधना के इच्छुक साधकों/ भगतो/ गृहस्थ/ आमजन को हम हार्दिक आमंत्रित करते है जिसका मुख्य उद्देश्य: समाज के लिए उपयोगी, लाभदायक व् आदर्श साधको (भगतो) का निर्माण, स्थापना करना जो की समाज में आध्यात्मिक आदर्शो मूल्यों को स्थापित कर सके और ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या का सकारात्मक रूप में प्रचार-प्रासार कर सके |

 

I will teach you my secret tantra remedies for success in your life by learning only Shabar Mantra, Tantra and meditation you can achieve anything you want to achieve in your life.

 

मैं आपको अपने जीवन में सफलता के लिए अपने गुप्त तंत्र उपाय सिखाऊंगा केवल शाबर मंत्र, तंत्र और ध्यान सीखकर आप अपने जीवन में जो कुछ भी हासिल करना चाहते हैं उसे प्राप्त कर सकते हैं।

 

तंत्र विद्या कैसे सीखें इसका उत्तर देने से पहले, सर्वशक्तिमान ईश्वर, अलौकिक शक्तियों की प्रकृति और अंतरिक्ष में समय की गति के बारे में जानना आवश्यक है। तंत्र विद्या, तंत्र मंत्र या जादू मंत्र वास्तव में अपने समय को ध्यान में रखते हुए विभिन्न अलौकिक शक्तियों का उपयोग करने वाले जीवों पर आध्यात्मिक संचालन हैं।

 

कहां से शुरू करें

इसके लिए सबसे पहले किसी नेक गुरु की तलाश से शुरुआत करें। हालांकि शाबर मंत्र विद्या में गुरु हमेशा गुरु गोरखनाथ होते हैं। वह हमेशा जीवित रहने वाला गुरु है क्योंकि वह कभी नहीं मरें। लेकिन फिर भी मार्गदर्शन के लिए एक नेक गुरु की आवश्यकता होती है। आपको हमेशा अपने गुरु के प्रति समर्पित रहना चाहिए। वह जो भी कहें या मार्गदर्शन करें, बस उसका पालन करें। इसके बारे में ज्यादा मत सोचो। धीरे-धीरे आपको सफलता मिलने वाली है।

 

ग्रामीण तंत्र में क्या सीखना है

सर्वशक्तिमान ईश्वर की शिक्षा हमेशा शीर्ष पर होती है। आपको ब्रह्माण्ड के साथ आधुनिकयुग की सापेक्षता और ब्रह्मांड की अलौकिक शक्तियों की अनदेखी दुनिया को सीखना चाहिए। आपको विभिन्न अलौकिक शक्तियों की प्रकृति और सृष्टि में उनके स्थान, भूमिका के बारे में पता होना चाहिए। आपको तंत्र में लगभग सभी कर्म की परिभाषा व्यावहारिक रूप से जाननी चाहिए।

हमारे द्वारा संचालित “ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या” कार्यक्रम जिसका मुख्य उद्देश्य: समाज के लिए उपयोगी, लाभदायक व् आदर्श साधको (भगतो) का निर्माण, स्थापना करना जो की समाज में आध्यात्मिक आदर्शो मूल्यों को स्थापित कर सके और ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या का सकारात्मक रूप में प्रचार-प्रासार कर सके | अत: आप इस कार्यक्रम में आप निम्नलिखित ग्रामीण शाबर मन्त्र तन्त्र विद्या सीखेंगे और सफलता भी प्राप्त करोंगे-

 

»     शारीरिक, स्थान, व् व्यापार आदि की अज्ञात अडचन, तन्त्र बाधा, तांत्रिक प्रयोग आदि से रक्षा करना |

»     गृह-क्लेश, व्यापार-रोजगार बंधन, भूत-प्रेत बाधा, अज्ञात अडचन, तन्त्र बाधा, तांत्रिक प्रयोग, किया-कराया, जादू-टोना, तन्त्र मन्त्र आदि से मुक्ति के उपाय व् मन्त्र-तन्त्र का उतारा करने योग्य क्षमता बनाना |

»     आपके आध्यात्मिक पथ को अग्रसर करना जिससे की आप और भी लाभान्वित हो सके |

»     कुछ विशेष मन्त्र साधनाए, प्रयोग, सेवाए (विशेष देवी-देवता जैसे कुलदेवी-कुलदेवता, पितृ आदि की विशेष अवधि की विशेष पूजा-पाठ, नियम आदि) जो आपके लिए एक साधक, भगत होने के नाते विशेष जरूरी है और आपके मार्ग को सरल व् सुगम बनाने हेतु अनिवार्य भी है |

»     सुरक्षित व् खुशहाल जीवन |

 

 

बुरी शक्तियों से बचाव

तंत्र विद्या सीखने में यह सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है जो केवल महान गुरु के पवित्र चरणों में रहने से ही संभव है। तंत्र सीखने के शुरुआती चरणों में, आपकी आत्मा खुद को बुरी शक्तियों के नकारात्मक प्रभाव से बचाने में सक्षम नहीं होती है, जो कि एक घातक गलती होने पर भी आप पर हावी हो सकती है। इसलिए, आप जिस महान गुरु से सीख रहे हैं, उसके आदेशों या निर्देशों का हमेशा पालन करें। याद रखें कुछ क्रियाएं अपरिवर्तनीय हैं। होशियार होने की कोशिश न करें क्योंकि इससे आपका जीवन हमेशा के लिए खतरे में पड़ सकता है।

मैं तन्त्र प्रेमियों को व्यक्तिगत रूप से और ऑनलाइन रूप से शाबर मंत्र, तंत्र

और ध्यान के सकारात्मक लाभों के बारे में बताता रहा हूं।

शाबर मंत्र, तंत्र और ध्यान प्रामाणिक पारंपरिक भारतीय ग्रामीण तंत्र है, हमारे पाठ्यक्रम में ग्रामीण तंत्र, ग्रामीण मन्त्र, ग्रामीण टोटके, ग्रामीण उपाय, तांत्रिक मंत्र, तांत्रिक मुद्रा, तांत्रिक उपचार और गुप्त तांत्रिक अभ्यास सहित शक्तिशाली ध्यान श्रृंखला शामिल हैं। हमारा पाठ्यक्रम तंत्र के अध्ययन में एक गहरा गोता लगाने वाला है।

प्राचीन ग्रामीण तंत्र परंपराओं के अनुसार, मैं अपने ज्ञान को किसी भी गंभीर साधक के साथ साझा करने के लिए तैयार हूं जो सीखने को तैयार है। मैं ग्रामीण शाबर तंत्र विषय पर विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम प्रदान करता हूं। जहाँ पर आपका मासिक शुल्क निर्धारित होगा |

 

योग्यता

तंत्र विद्या सीखने के लिए सबसे पहली योग्यता है अपने गुरु पर पूर्ण विश्वास रखना। वह आपसे जो कहता है उसका पालन करते रहें।

विशेष रूप से केवल शाबर मन्त्र साधना के इच्छुक व्यक्तियों के लिए है |

आपको बताई गयी साधना, विधि में कुतर्क करने के लिए बेवजह अपने दिमाग का ज्यादा इस्तेमाल न करें।

आपकी जाति, धर्म, कुछ भी हो आप, ग्रामीण शाबर तंत्र साधना सिख सकतें हैं | सभी को एक समान विद्या प्रदान की जाएगी |

यह प्रोग्राम केवल शाबर मन्त्र सिखने के प्रबल इच्छुक साधको, भगतो, आमजन, गृहस्थ/ स्त्री-पुरुष सभी के लिए है

आप चाहे स्त्री हो या पुरुष हो, आप ग्रामीण शाबर तंत्र साधना सिख सकतें हैं |

मजबूत कल्पना शक्ति |

मानवता की सेवा करके सर्वशक्तिमान ईश्वर की सेवा करने का लक्ष्य रखें।

 

 

महत्वपूर्ण लेख

निर्देशों का पालन करें और आँख बंद करके अपने गुरु के आदेशों का पालन करें।

अपने आप को अपने गुरु के पवित्र चरणों में समर्पित करें।

अपने गुरु का सम्मान करें और किसी भी मंत्र का प्रयोग करने से पहले उन्हें याद रखें।

कोई दृष्टि या शक्ति मिले तो अपने गुरु से ही चर्चा करें, किसी और से नहीं।

कभी भी शक्तियों का खुलासा न करें, जो आप गुरुजी से प्राप्त कर रहे हैं।

सिद्धि का खुलासा कभी मत करो, जो आपको गुरुजी से प्राप्त हो रही हो।

 

शाबर मंत्र दीक्षा प्राप्त करना चाहते हैं तो आप हमसे संपर्क कर सकते हैं। यहाँ हम आपको सीमित दायरे की दीक्षा (सात्विक/तामसिक शाबर मन्त्र, सत्कर्म व् समाजोपयोगी शाबर मन्त्रो की दीक्षा जिससे केवल रक्षा, भलाई करने में आप सामर्थ होंगे | जिसमे अभिचार कर्म शामिल नही होगा ) प्रदान करेंगे जिससे की आप स्वयं की रक्षा करने में सक्षम होंगे और अपने परिवार की भी रक्षा करने में सक्षम होंगें और अपने प्रियजनों की पीड़ा-व्यथा, परेशानीयों का समाधान करने में सक्षम होंगे । परिवार व स्वयं के क्लेशों को दूर कर पाएंगे, ऊपरी बाधा, तँत्र बाधा, जादू टोना आदि सके उतपन्न परेशानियों को दूर करने का सामर्थ्य प्राप्त होगा।

 

यह कार्यक्रम किस प्रकार कार्य करता है

एक बार जब आप मेरे साथ एक पाठ्यक्रम का पालन करने का निर्णय लेते हैं, तो आपको हमारे WhatsApp/Telegram ग्रुप से जोड़ दिया जायेगा | जहाँ पर आपको समय समय पर आध्यात्मिक ज्ञान और ग्रामीण शाबर तंत्र साधनाएं दी जाएगी | जिनका आपको पालन करना होगा | ग्रामीण शाबर तंत्र साधना के दौरान आने वाली समस्या और शंकाओं का समाधान किया जायेगा | WhatsApp ग्रुप में आपको ग्रुप के नियमो का सख्ती से पालन भी करना होगा और हमारे द्वारा प्रदान की जाने वाली समस्त बातों, साधनाओ को गुप्त रखना होगा |

यह शाबर मन्त्र दीक्षा केवल उसी के लिए है जिसे ‘गुरु’ और ‘शाबर मन्त्र’ पर विश्वास होगा और साथ ही  ‘आस्तिक, मेहनती, लगनशील, आत्मविश्वासी, परोपकारी’ हो | चाहे आपके पहले कोई गुरु थे, या नही थे, इससे आपको कोई नुकसान नही होगा |

 

 

इसके लिए कितनी दानराशि है?

प्राचीन ग्रामीण तंत्र परंपराओं के अनुसार, मैं अपने ज्ञान को किसी भी गंभीर साधक के साथ साझा करने के लिए तैयार हूं जो सीखने को तैयार है। मैं ग्रामीण शाबर तंत्र विषय पर विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम प्रदान करता हूं। साधनाये आपको शून्य चरण से शुरू करवाई जाएगी | अत: अपना ज्ञान पूर्व में ही झाड़ दे फिर हमसे जुड़े | और साधनाये आपको नियमानुसार ही करवाई जाएगी | जहाँ पर आपका मासिक शुल्क निर्धारित होगा | जोकि अभी तक निर्धारित नही है फिर भी न्यूनतम राशी 151/- से 551/- तक ही अथवा इससे भी कम निर्धारित होगी | और सदस्यों की संख्या भी निर्धारित होगी |

 

 

शाबर मंत्र दीक्षा कब से प्रारम्भ होगी ?

नववर्ष पर एक नया विचार और जनकल्याण की भावना लेकर चला हूँ और विद्यारंभ मुहूर्त 15 जून बुधवार16 जून गुरुवार, 19 जून रविवार से हमारे द्वारा नव साधकों को मन्त्र तन्त्र विद्या की शुरुआत की जाएगी |

 

शाबर मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में जुड़ने के लिए क्या करे ?

15 जून बुधवार16 जून गुरुवार, 19 जून रविवार से हमारे द्वारा नवसाधकों को मन्त्र तन्त्र विद्या की शुरुआत की जाएगी | जिसका अंतिम निर्धारण 14 जून मंगलवार तक हो जायेगा | सदस्यों की संख्या निर्धारित रहेगी, अगर आप इच्छुक हैं तो अभी प्रतिक्रिया करें अत: पूर्वनिधारित सदस्य सीमा के बाद शुल्क जमा होना भी स्वत: समाप्त हो जायेगा |

ध्यान रहें : मासिक शुल्क निर्धारित होगा |

 

शाबर मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में जुड़ने के लिए शुल्क कैसे भेंजे ?

आप नीचे दिए गये लिंक पर क्लिक करें, फॉर्म में सही जानकारी भरकर सबमिट करें | आपको ऑनलाइन शुल्क जमा करवाने की सुविधा आपकी ईमेल में मिल जायेगी | आप अपनी सुविधानुसार चयन करें |

 

शाबर मंत्र दीक्षा कार्यक्रम में जुड़ने के लिए शुल्क भेजने के बाद क्या होगा

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