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रविवार, 18 अगस्त 2024

Mantra Sidhi Ke Liye Shubh Mahurat September 2024 | मन्त्र सिद्धि हेतु शुभ महूर्त सितंबर 2024

शुभ महूर्त एक ऐसा समय होता है जब ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति अनुकूल होती है, जिससे किसी भी कार्य को आरंभ करना अत्यधिक फलदायी और शुभ माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में, शुभ महूर्त का विशेष महत्व है और इसे देखकर ही महत्वपूर्ण कार्य किए जाते हैं, जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यवसाय प्रारंभ करना, आदि।

शुभ महूर्त के प्रकार

शुभ महूर्त के कई प्रकार होते हैं और इन्हें विभिन्न ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर निकाला जाता है। कुछ प्रमुख शुभ महूर्त निम्नलिखित हैं:

  1. अभिजीत मुहूर्त: यह महूर्त दिन के मध्य में आता है और इसे किसी भी कार्य के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। यह समय हर दिन बदलता रहता है और इसे पंचांग में देखा जा सकता है।

  2. सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य जल्दी और आसानी से सिद्ध होते हैं।

  3. अमृत सिद्धि योग: इस योग को अत्यधिक शुभ माना जाता है और यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण कार्यों के लिए उपयुक्त होता है।

  4. गौरी शंकर पंचांग: यह मुहूर्त विभिन्न मांगलिक कार्यों के लिए अत्यधिक शुभ होता है।

  5. रवि योग और गुरु पुष्य योग: रवि योग और गुरु पुष्य योग भी अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। इन योगों में किए गए कार्य और मंत्र जाप अत्यंत सफल होते हैं।

शुभ महूर्त निकालने के कारक

शुभ महूर्त निकालने के लिए विभिन्न ज्योतिषीय कारकों का ध्यान रखा जाता है:

  1. ग्रहों की स्थिति: किसी भी कार्य के शुभ महूर्त के लिए ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है। जब ग्रह अनुकूल स्थिति में होते हैं, तब ही शुभ महूर्त निकलता है।

  2. नक्षत्र: नक्षत्रों की स्थिति भी महूर्त निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अनुकूल नक्षत्र में किए गए कार्य सफल होते हैं।

  3. तिथि: वैदिक पंचांग में विभिन्न तिथियों का महत्व होता है। शुभ तिथि का चयन करना भी महूर्त निकालने में महत्वपूर्ण होता है।

  4. योग: विभिन्न योग, जैसे सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, आदि का ध्यान रखा जाता है। ये योग किसी भी कार्य की सफलता के लिए अत्यधिक शुभ होते हैं।

  5. करण: करण भी महूर्त निकालने में महत्वपूर्ण होते हैं। इन्हें देखकर ही शुभ महूर्त का निर्धारण किया जाता है।

निष्कर्ष

शुभ महूर्त का चयन ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर किया जाता है और यह सुनिश्चित करता है कि किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को अनुकूल समय में प्रारंभ किया जाए। इससे कार्य की सफलता और शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं।

यदि आप किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए शुभ महूर्त जानना चाहते हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श कर सकते हैं या पंचांग का उपयोग कर सकते हैं। शुभ महूर्त का चयन आपके कार्यों को सफल और शुभ बना सकता है।

शाबर मंत्र भारतीय तंत्र विद्या का एक अद्वितीय और प्राचीन अंग हैं, जिनका उपयोग विशेष रूप से साधक अपनी इच्छाओं की सिद्धि के लिए करते हैं। ये मंत्र सरल भाषा में होते हैं लेकिन इनमें गहरा आध्यात्मिक और रहस्यमय प्रभाव छिपा होता है। शाबर मंत्र सिद्धि का मतलब है कि मंत्र की शक्ति को पूर्ण रूप से जागृत करना ताकि वह साधक के जीवन में सकारात्मक परिणाम दे सके। इस प्रक्रिया में शुभ महूर्त का अत्यधिक महत्व है। इस ब्लॉग पोस्ट में हम इस पर गहराई से विचार करेंगे कि शाबर मंत्र सिद्धि हेतु शुभ महूर्त क्यों आवश्यक है।

शुभ महूर्त का महत्व

  1. ग्रहों और नक्षत्रों की अनुकूलता: वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति का हमारे जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। जब हम शुभ महूर्त में शाबर मंत्र का जाप करते हैं, तो यह समय ग्रह और नक्षत्रों की अनुकूल स्थिति के कारण अत्यधिक प्रभावशाली होता है। उदाहरण के लिए, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग जैसे मुहूर्त अत्यधिक शुभ माने जाते हैं। इन समयों में किए गए मंत्र जाप से ग्रहों की सकारात्मक ऊर्जा का लाभ प्राप्त होता है, जिससे मंत्र शीघ्र सिद्ध हो जाता है।

  2. सकारात्मक ऊर्जा का संचय: शुभ महूर्त में किए गए मंत्र जाप से वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। यह ऊर्जा साधक के मन, शरीर, और आत्मा को सशक्त बनाती है, जिससे मंत्र की शक्ति बढ़ जाती है। सही समय पर किया गया मंत्र जाप अधिक प्रभावी होता है और जल्दी फल देता है। यह ऊर्जा साधक के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाती है और उसे मानसिक, शारीरिक, और आध्यात्मिक रूप से बलवान बनाती है।

  3. मानसिक शांति और एकाग्रता: शुभ महूर्त में मंत्र जाप करने से साधक को मानसिक शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है। ध्यान और एकाग्रता के बिना मंत्र की शक्ति को जागृत करना कठिन होता है। जब मन शांत और एकाग्र होता है, तब मंत्र की ध्वनि और उसकी तरंगें गहरी होती हैं, जिससे आत्मिक उन्नति संभव होती है। शुभ महूर्त में किए गए मंत्र जाप से साधक की एकाग्रता और ध्यान की शक्ति बढ़ती है, जिससे मंत्र सिद्धि सरल और प्रभावी हो जाती है।

शुभ महूर्त के प्रकार

  1. सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग विशेष रूप से शुभ माना जाता है और किसी भी कार्य की सिद्धि के लिए अत्यंत प्रभावशाली होता है। सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए मंत्र जाप शीघ्र और प्रभावी परिणाम देते हैं।

  2. अमृत सिद्धि योग: इस योग को भी अत्यंत शुभ माना जाता है और यह सभी कार्यों के लिए उपयुक्त होता है। अमृत सिद्धि योग में किए गए मंत्र जाप से साधक को विशेष लाभ मिलता है।

  3. रवि योग और गुरु पुष्य योग: रवि योग और गुरु पुष्य योग भी शुभ माने जाते हैं। इन योगों में किए गए कार्य और मंत्र जाप अत्यंत सफल होते हैं।

नकारात्मक प्रभावों से बचाव

शुभ महूर्त का चयन करके हम नकारात्मक ग्रह प्रभावों और बुरे समय से बच सकते हैं। यदि गलत समय पर मंत्र जाप किया जाए, तो यह न केवल अप्रभावी हो सकता है, बल्कि नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। अशुभ समय में किए गए कार्य अक्सर विफल हो जाते हैं या उनके परिणाम अनुकूल नहीं होते। शुभ महूर्त में मंत्र जाप करके हम इस प्रकार की समस्याओं से बच सकते हैं और अपने प्रयासों को सफल बना सकते हैं।

शाबर मंत्र सिद्धि हेतु शुभ महूर्त के उदाहरण


सितंबर 2024 में शाबर मंत्र सिद्धि हेतु महत्वपूर्ण तंत्र और मंत्र साधना के शुभ मुहूर्त:

सितंबर 2024 में निम्नलिखित तिथियों पर सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, रवि योग, और गुरु पुष्य योग बन रहे हैं, जो शाबर मंत्र सिद्धि और तंत्र साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं:

  1. 3 सितंबर, 2024 (मंगलवार):

    • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:01 AM से 12:30 PM तक
    • विशेष: इस समय मंत्र सिद्धि की साधना शुरू करना विशेष रूप से फलदायी होगा।
  2. 5 सितंबर, 2024 (गुरुवार):

    • रवि योग: सुबह 06:02 AM से पूरे दिन
    • विशेष: यह योग तंत्र साधना के लिए अत्यधिक अनुकूल है, साधक इस योग में अपनी साधना को विशेष रूप से शक्तिशाली बना सकते हैं।
  3. 8 सितंबर, 2024 (रविवार):

    • अमृत सिद्धि योग: सुबह 06:04 AM से 03:45 PM तक
    • विशेष: इस दिन की साधना से मंत्रों की सिद्धि में त्वरित और सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।
  4. 12 सितंबर, 2024 (गुरुवार):

    • गुरु पुष्य योग: सुबह 05:57 AM से 10:45 PM तक
    • विशेष: गुरु पुष्य योग में की गई साधना का प्रभाव दोगुना होता है, यह योग विशेष रूप से शाबर मंत्र सिद्धि के लिए उपयुक्त है।
  5. 15 सितंबर, 2024 (रविवार):

    • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:09 AM से रात 09:45 PM तक
    • विशेष: इस योग में साधक अपने मंत्रों की सिद्धि और तंत्र साधना में उच्च सफलता प्राप्त कर सकते हैं।
  6. 18 सितंबर, 2024 (बुधवार):

    • रवि योग: दोपहर 02:30 PM से रात 11:50 PM तक
    • विशेष: रवि योग में साधना से त्वरित लाभ होता है और साधक की सभी बाधाएं दूर होती हैं।
  7. 21 सितंबर, 2024 (शनिवार):

    • अमृत सिद्धि योग: सुबह 06:11 AM से शाम 05:25 PM तक
    • विशेष: इस योग में मंत्रों की सिद्धि के लिए साधना शुरू करना शुभ माना जाता है।
  8. 23 सितंबर, 2024 (सोमवार):

    • गुरु पुष्य योग: सुबह 06:13 AM से रात 10:20 PM तक
    • विशेष: गुरु पुष्य योग में की गई साधना विशेष रूप से शक्तिशाली होती है, यह योग विशेष रूप से शाबर मंत्र सिद्धि के लिए उपयुक्त है।
  9. 26 सितंबर, 2024 (गुरुवार):

    • सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:15 AM से रात 08:40 PM तक
    • विशेष: इस योग में शाबर मंत्रों की सिद्धि के लिए साधना करने से त्वरित लाभ मिलता है।
  10. 29 सितंबर, 2024 (रविवार):

    • रवि योग: सुबह 06:18 AM से रात 10:55 PM तक
    • विशेष: इस योग में साधना से मंत्रों की सिद्धि और तंत्र साधना का प्रभाव तेजी से बढ़ता है।

सुझाव:

  • इन तिथियों पर साधना करने से शाबर मंत्र सिद्धि में सफलता की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।
  • साधना करते समय मन की शांति और एकाग्रता बनाए रखें, साथ ही साधना स्थल की शुद्धि पर भी ध्यान दें।
  • इन विशेष योगों में साधना करने से तंत्र और मंत्र साधना का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है, जिससे साधक को शीघ्र ही सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।

निष्कर्ष

शाबर मंत्र सिद्धि हेतु शुभ महूर्त का महत्व इसलिए है क्योंकि यह हमारे प्रयासों को अधिक प्रभावशाली और फलदायी बनाता है। शुभ महूर्त का चयन करके हम ग्रहों और नक्षत्रों की अनुकूल स्थिति का लाभ उठा सकते हैं, सकारात्मक ऊर्जा का संचय कर सकते हैं, और मानसिक शांति और एकाग्रता प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, शाबर मंत्र सिद्धि के लिए शुभ महूर्त का चयन अवश्य करें और अपने जीवन को सकारात्मकता और शांति से भरें।

संस्तुतियाँ

शुभ महूर्त के लिए आप किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं, जो आपकी कुंडली और ग्रहों की स्थिति के आधार पर उचित समय का चयन करने में आपकी मदद करेंगे। इसके अतिरिक्त, आप ज्योतिष संबंधी वेबसाइटों और पंचांगों की सहायता भी ले सकते हैं।

आपके प्रश्नों और सुझावों का स्वागत है। टिप्पणी में अपने विचार साझा करें और हम आपके प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करेंगे।


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    Shiva Krupa In Sawan Month| 37 Simple Ways to Please Lord Shiva During Sawan

    शिव पुराण के अनुसार, सावन माह में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

    Shiva Krupa In Sawan Month


    1. **रुद्राभिषेक**: शिवलिंग का जल, दूध, दही, शहद, और गंगा जल से अभिषेक करना बहुत शुभ माना जाता है। इसमें विशेष मंत्रों का जाप करना भी फायदेमंद होता है।


    2. **व्रत और उपवास**: सावन के सोमव्रत या सोमवार का व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा की जाती है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देते हैं।


    3. **शिव चालीसा और मंत्र जाप**: शिव चालीसा का पाठ और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना बहुत महत्वपूर्ण है। इस मंत्र का नियमित रूप से जाप करने से मानसिक शांति और सुख-समृद्धि मिलती है।


    4. **बिल्वपत्र अर्पण**: शिवलिंग पर बिल्वपत्र (बेलपत्र) अर्पण करना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसके अलावा धतूरा, आक, और भांग भी अर्पण किए जा सकते हैं।


    5. **शिव कथा और कीर्तन**: सावन माह में शिव पुराण की कथा सुनना और शिव जी के भजनों का कीर्तन करना शुभ माना जाता है।


    6. **दान और सेवा**: जरूरतमंदों की सेवा करना और गरीबों को भोजन, वस्त्र आदि का दान करना भी शिव जी को प्रसन्न करता है।


    7. **मंदिर दर्शन**: सावन माह में शिव मंदिर जाकर शिवलिंग के दर्शन और पूजा-अर्चना करना भी भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।


    8. **महामृत्युंजय मंत्र का जाप**: इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति दीर्घायु, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करता है। यह मंत्र विशेषकर सावन के महीने में अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है:

       ```

       ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

       उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥


    9. **शिव पंचाक्षर स्तोत्र**: इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र निम्नलिखित है:

       ```

       नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय भस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

       नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय तस्मै नकाराय नमः शिवाय॥

       ```


    10. **प्रदोष व्रत**: प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखना भी भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है, विशेषकर सावन माह में। 


    11. **शिव तांडव स्तोत्र**: इस स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव के तांडव नृत्य का वर्णन करता है।


    12. **सात्विक आहार और आचरण**: इस माह में सात्विक आहार और पवित्र आचरण का पालन करना चाहिए। इससे मानसिक शांति और शुद्धता प्राप्त होती है।


    13. **शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाना**: दूध, दही, घी, शहद और गंगा जल से शिवलिंग का अभिषेक करना भी भगवान शिव को प्रसन्न करता है।


    14. **अक्षत और कुमकुम**: शिवलिंग पर अक्षत (साबुत चावल) और कुमकुम चढ़ाने से भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।


    15. **संध्या समय दीप जलाना**: शाम के समय शिव मंदिर या घर में शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाना और शिव आरती करना शुभ माना जाता है।


    16. **गंगाजल का अभिषेक**: शिवलिंग पर गंगाजल से अभिषेक करना बहुत ही शुभ माना जाता है। अगर गंगाजल उपलब्ध नहीं है, तो शुद्ध जल का प्रयोग भी किया जा सकता है।


    17. **शिव तर्पण**: पितरों की शांति और उद्धार के लिए सावन में शिव तर्पण करना भी अत्यंत लाभकारी होता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।


    18. **धूप और दीप अर्पण**: रोज सुबह और शाम शिवलिंग के सामने धूप और दीप जलाना भगवान शिव को प्रसन्न करता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।


    19. **शिव मंदिर में साफ-सफाई**: सावन माह में शिव मंदिर की सफाई और साज-सज्जा में सहयोग करना भी पुण्यदायी होता है। इससे भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।


    20. **शिव जी की आरती**: रोज शाम को शिव जी की आरती करना और भजन-कीर्तन करना भगवान शिव को प्रसन्न करता है। 


    21. **भगवान शिव की प्रतिमा की स्थापना**: घर में भगवान शिव की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना करके रोज उनकी पूजा-अर्चना करना भी बहुत शुभ होता है।


    22. **भस्म रुद्राक्ष धारण**: भगवान शिव को भस्म और रुद्राक्ष अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए सावन माह में भस्म और रुद्राक्ष धारण करना भी लाभकारी होता है।


    23. **साधना और ध्यान**: सावन माह में भगवान शिव की साधना और ध्यान करना मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।


    24. **लघुरुद्र पाठ**: लघुरुद्र पाठ करवाना या उसमें भाग लेना भी भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक उत्तम उपाय है।


    25. **शिव परिवार की पूजा**: भगवान शिव के साथ माता पार्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा करना चाहिए। इससे परिवारिक सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।


    26. **शिव सहस्रनाम स्तोत्र**: इस स्तोत्र का पाठ करना भगवान शिव को प्रसन्न करता है। इसमें शिव जी के हजार नामों का उल्लेख होता है, जो उनकी महिमा का वर्णन करते हैं।


    27. **नंदी की पूजा**: शिव जी के वाहन नंदी की पूजा करना भी बहुत शुभ माना जाता है। शिवलिंग के साथ-साथ नंदी पर भी जल अर्पण करें।


    28. **विभिन्न फूल अर्पण**: शिवलिंग पर विशेष रूप से आक, धतूरा, कनेर, और कमल के फूल अर्पण करना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। 


    29. **त्रिपुंड तिलक**: माथे पर त्रिपुंड तिलक (तीन सफेद रेखाएं) लगाना और भस्म धारण करना भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण उपाय है।


    30. **आत्मचिंतन और सत्संग**: आत्मचिंतन और शिव भक्तों के साथ सत्संग करना भी भगवान शिव को प्रसन्न करता है। इससे मानसिक शांति और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है।


    31. **शिव मंत्र लिखना**: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर पूजा स्थान पर रखना और इसका नियमित रूप से दर्शन करना भी शुभ माना जाता है।


    32. **रुद्राक्ष माला पहनना**: रुद्राक्ष की माला धारण करना और इससे भगवान शिव के मंत्रों का जाप करना भी अत्यंत लाभकारी होता है।


    32. **संगीत और नृत्य**: शिव जी के तांडव नृत्य की महिमा को याद करते हुए भक्ति संगीत सुनना और नृत्य करना भी भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक उपाय है।


    34. **योग और प्राणायाम**: भगवान शिव योगेश्वर हैं, इसलिए सावन माह में योग और प्राणायाम का अभ्यास करना भी अत्यंत लाभकारी है।


    35. **पारद शिवलिंग की पूजा**: पारद (पारा) से बने शिवलिंग की पूजा करना भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इससे साधक को विशेष कृपा प्राप्त होती है।


    35. **प्रातःकालीन पूजा**: सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करके शिवलिंग की पूजा करना और "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करना बहुत शुभ माना जाता है।


    37. **शिव महिमा का पाठ**: शिव महिमा स्त्रोत का पाठ करना भगवान शिव की महिमा का गुणगान करने का एक श्रेष्ठ तरीका है।



    इन उपायों को श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

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