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गुरुवार, 26 जनवरी 2017

Shabar Mantra Related FAQs

शाबर मन्त्र साधना से सम्बन्धित सभी सवालों के जवाब यहाँ से प्राप्त करे >>>

प्र. १.  शाबर मन्त्रो की साधना कौन कर सकता है ?
उ.  शाबर मंत्र साधना को किसी भी धर्म, जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कोई भी कर सकता है। शाबर मन्त्र साधना में जाति या धर्म का कोई बंधन नही माना जाता है और फिर आज शबर मन्त्रो में ही हमें सब धर्मो का नाम एक ही साथ देखने को मिलता हैं | कोई भी व्यक्ति जो शाबर मन्त्रो पर विश्वास, निष्ठा, लगन  रखता है, देवी देवताओं पर विश्वास रखता है वह ये साधनायें कर सकता है | 


प्र. २.  क्या गुरु के बिना भी साधनायें की जा सकती हैं ?
उ.  शाबर मन्त्रों की साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती,  क्योंकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध साधक, तांत्रिक , भक्त  रहे हैं। तथा इनका निर्माण भी आमजन, साधारण व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखकर ही किया गया था | जिससे की कोई भी इनका उपयोग करके अपना मनोरथ सिद्ध कर सके व अपनी परेशानीयों का हल कर सके 
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प्र. ३.  गुरु का साधनाओं में क्या महत्व है ? 
उ.  शाबर मन्त्र साधना में वैसे तो गुरु का कोई मुख्य महत्व नहीं होता क्योंकि लगन, विश्वास, दृढ़ता, पवित्रता आदि ही मुख्य गुर हैं, जो आपको साधना में सफलता तक ले जाती हैं फिर भी अगर कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोई आपत्ति नहीं क्योंकि वह किसी होनेवाले नुकसान  से वह बचा सकता है। तथा हमारा उचित मार्गदर्शन कर सकता हैं | शाबर मन्त्र साधना के अतिरिक्त साधनाओ में गुरु का तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो आपको भी जानता है और देवताओं को भी जानता है| वह साधना के मार्ग पर चला है इसलिये आपको वह मार्ग बता सकता है | मंत्र साधनाओं से शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है, और इस उर्जा को सही दिशा में ले जाना जरूरी होता है जो केवल और केवल गुरु ही कर सकता है | गुरु भी पहले शिष्य होता है, वह अपने गुरु के सानिध्य में साधना कर गुरुत्व को प्राप्त होता है |


प्र. ४  अगर मुझे कोई सच्चा या सही गुरु नहीं मिल रहा हो तो क्या में शाबर मन्त्र की साधना नही कर सकता ?
उ.  अगर आप को कोई सच्चा या सही गुरु नहीं मिल रहा हो और या फिर  आप किसी को भी गुरु बनाने में असमर्थ हो या आपको कोई उचित गुरु नहीं मिल पा रहा हो तो आप निराश ना होए,  आपका निराश होने भी एक साकारात्मक पहलू हैं, कैसे ? पता है ? की आप कोई चीज पाना चाहते हैं और आपको उसे पाने का मार्ग नहीं सूझ रहा है तो आप परेशान हो | बस यही  भाव काफी हैं सफलता के लिए क्योंकि इसी भाव में आप अपनी जिज्ञासा, उत्सुकता आदि का परिचय दे देते हो | और अपनी लगन भी दर्शाते हो | तो अब आप को निराश होने की जरुरत नही हैं | जरा महाभारत का एकलव्य को याद करो क्या उन्होंने गुरु के समक्ष ही विद्या अर्जित की ? क्या गुरु ही उनको समय समय पर मार्गदर्शन करता रहता था ? नहीं ना ? तो फिर आप क्यों चिंता करते हो ? आपकी मेहनत, लगन, विश्वास, श्रद्धा ही आपको आपके मार्ग पर स्वतः ही धकेलती ले जाएगी | अरे मेरे वीरो एकलव्य बन जाओ अपनी साधना के लिए |


प्र. ५  ठीक है, मैं, एकलव्य बन जाता हु, परन्तु एकलव्य ने तो अपने गुरु की मूर्ति बनाकर अपनी विद्या शुरु की थी, मैं क्या करूं ? किसकी मूर्ति बनाऊ ?
उ.  बिल्कुत ठीक प्रश्न है, एकलव्य ने अपने गुरु की मूर्ति बनाई थी परन्तु आप को ऐसा करने की कोई जरुरत नही हैं | आप जगतगुरु की शरण में जा सकते है, अपने ईष्ट देव को अपना गुरु मान ले, अपने पूर्वज या पितृ को ही गुरु बना ले या जो भी देवी या देवता जैसे काली माँ, भेरो बाबा, शिव जी, श्री रामजी, श्री कृष्ण जी, सरस्वती माँ, पार्वती माँ, गोरखनाथ जी  आदि जिसको आप बहुत चाहते हो, उन्हें अपना सिर्फ अपना समझते हो या जिस देव के लिए आपके मन में सच्ची श्रद्धा हो, प्रेम हो, विश्वास हो, बस उन्ही को आप पकड़ लो और उनसे विनती करते रहो, उन्हें अपना गुरु समझने लग जाओ और मान ही लो वो पहले और आखिरी गुरु केवल वो ही हैं | वैसे तो ये साधनाएँ बिना गुरु के भी की जा सकती हैं | और रही सही मार्गदर्शन की तो जब आपने इस पुस्तक को खरीदने का बीड़ा ही उठाया है, और कुछ अपनी मेहनत की राशी इस पर खर्च की है तो मैं इस पुस्तक के माध्यम से आप के लिए निश्चित मार्गदर्शन का लेख लिखूंगा जिससे की आप साधना में सफल होए फिर भी यदि आपको किसी भी तरह की कोई जानकारी चाहिए तो मुझे EMAIL के माध्यम से सम्पर्क करे | 
यदि गुरु न मिले तो निम्नलिखित मन्त्रों में से किसी भी एक मन्त्र का १,२५,००० (एक लाख पच्चीस हजार) जाप 9, 11, 21 दिनों में पूरा कर लें फिर अन्य साधनाऐ प्रारंभ करें :-


शिव मन्त्र
|| ॐ नमः शिवाय ||

२. महाकाली बीज मन्त्र 
|| ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ॐ ||

३.  शिव शक्ति मन्त्र
|| ॐ साम्ब सदाशिवाय नमः ||

४.  शिव गुरु मन्त्र
|| ॐ महादेवाय जगद्गुरुवे नमः ||

५. गुरु गोरखनाथ मन्त्र
|| ॐ शिव गुरु गोरखनाथाये नमः ||


या फिर कोई भी शुभ अवसर, मौके, महूर्त, गुरु-पुष्य, रवि-पुष्य,  अमृत-सिद्धि-योग,  सर्वार्थ-सिद्धि-योग पर अपने ईष्ट देव का कोई भी बीज मन्त्र आप भोजपत्र पर केशर से लिखे या फिर कोई भी सफ़ेद कागज पर केशर से मन्त्र लिखे अगर ये सम्भव नही है तो फिर कोई भी लाल रंग का पेन सा स्केच पेन से सफ़ेद कागज़ पर ईष्ट देव का बीज मन्त्र साफ़ साफ़  लिखे और फिर आप वो भोजपत्र या कागज जो भी अपने लिखा हैं को, अपने ईष्ट देव के चरणों में रख दे फिर उनकी पूजा अर्चना करने के बाद उस कागज या भोजपत्र को उनके चरणों से उठा ले, गुरु मन्त्र जान कर मन्त्र पर, गुरु पर, ईष्ट पर और स्वयं पर विश्वास करके मन में यह धारणा बना लो कि आप ने गुरु बना लिया और अब आप निगुरे नहीं हो , अब आप ने जो गुरु मन्त्र अपने ईष्ट देव के द्वारा लिया हैं उसका श्रद्धा के साथ वहीं पर बैठे बैठे कम से कम 11 बार तो जप कर लेना चाहिए जिससे की ऐसे अवसर या माहौल बने की आप गुरु के सामने बैठ कर अपने उच्चारण को सिख रहे हैं | अब आप गुरु मन्त्र ले चुके हैं |


प्र. ६  क्या साधनाओं से जीवन की समस्याओं का समाधान हो सकता है ?
उ.  बिलकुल हाँ, साधनाओं से जीवन की विविध समस्याओं का समाधान का मार्ग मिलता है |


प्र. ७  क्या आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन हो सकता है ?
उ.  हाँ आज भी देवी देवताओं का प्रत्यक्ष दर्शन संभव है. इसके लिए तीन बातें अनिवार्य हैं -
एक सक्षम गुरु का शिष्यत्व |
इष्ट और मंत्र में पूर्ण विश्वास |
शुद्ध ह्रदय से लगन और समर्पण के साथ साधना |


प्र. ८ कुछ साधनाओं में ब्रह्मचर्य को अनिवार्य क्यों माना जाता है ?
उ.  ब्रह्मचर्य से शरीर का आतंरिक बल बढ़ता है, उग्र साधनाएँ जैसे बजरंग बली या भैरव साधना की साधना में यह आतंरिक बल ही साधक को जल्द सफलता दिलाता है |


प्र. ९  क्या साधनाओं के द्वारा विवाह बाधा का निवारण, धन की प्राप्ति संभव है ?
उ.  बिलकुल हाँ, शाबर मन्त्रो की साधनाओं से विवाह बाधा दूर हो सकती है | इनका फल तब ज्यादा होता है जब वही व्यक्ति साधना करे जिसके विवाह में बाधा आ रही है |
साधना के द्वारा आसमान से धन गिरने जैसा चमत्कार नहीं होता है . लक्ष्मी, कुबेर जैसी साधनाएँ करने से धनाग
मन के मार्ग अवश्य खुलने लगते हैं. इसमें साधक को प्रयत्न तो स्वयं करना होता है , लेकिन सफलता दैवीय कृपा से जल्द मिलने लगती है |

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