प्रेम को अपना बनाने के लिए इस मंत्र का जाप का भी उल्लेख है:
केशवी केशवाराध्या किशोरी केशवस्तुता,
रूद्र रूपा रूद्र मूर्ति: रूद्राणी रूद्र देवता।
कहा जाता है कि अपने प्रेमी या प्रेमिका के लिए मन से उपरोक्त मंत्रों का जाप करते हुए भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करना चाहिए। प्रेम- विवाह में अवश्य सफलता मिलेगी। प्रत्येक शुक्रवार को राधा-कृष्ण की प्रतिमा के सामने इन मंत्रों का सच्चे मन से 108 बार जाप करें। लोग कहते हैं कि 3 माह के अंदर प्रेम-विवाह में आ रही सारी अड़चनें दूर होने के रास्ते बन जाते हैं।
यदि प्रेम-विवाह में कोई बाधा आ रही हो तो 5 नारियल लेकर इसे भगवान शंकर की मूर्ति के आगे रखकर
|| ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः ||
मंत्र का जाप बार करें। यह जाप स्फटिक या रूद्राक्ष की माला पर पांच माला फेरते हुए करें। इसके बाद वे पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढ़ाएं, विवाह की बाधाएं दूर होती नजर आएंगी।
कुछ पंडितों का कहना है कि प्रत्येक सोमवार को यदि सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर
|| ऊं सोमेश्वराय नमः ||
का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढ़ाएं और वहीं मंदिर में बैठकर रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का एक माला जप करें तो विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आएगी।
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शुक्रवार, 28 जुलाई 2017
महाकाली मंत्र
महाकाली मंत्र
ऊं ए क्लीं ह्लीं श्रीं ह्सौ: ऐं ह्सौ: श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं जूं क्लीं सं लं श्रीं र: अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋं लं लृं एं ऐं ओं औं अं अ: ऊं कं खं गं घं डं ऊं चं छं जं झं त्रं ऊं टं ठं डं ढं णं ऊं तं थं दं धं नं ऊं पं फं बं भं मं ऊं यं रं लं वं ऊं शं षं हं क्षं स्वाहा।
विधि : यह महाकाली का उग्र मंत्र है। इसकी साधना विंध्याचल के अष्टभुजा पर्वत पर त्रिकोण में स्थित काली खोह में करने से शीघ्र सिद्धि होती है अथवा श्मशान में भी साधना की जा सकती है, लेकिन घर में साधना नहीं करनी चाहिए। जप संख्या 1100 है, जिन्हें 90 दिन तक अवश्य करना चाहिए। दिन में महाकाली की पंचोपचार पूजा करके यथासंभव फलाहार करते हुए निर्मलता, सावधानी, निभीर्कतापूर्वक जप करने से महाकाली सिद्धि प्रदान करती हैं। इसमें होमादि की आवश्यकता नहीं होती।
यह मंत्र सार्वभौम है। इससे सभी प्रकार के सुमंगलों, मोहन, मारण, उच्चाटनादि तंत्रोक्त षड्कर्म की सिद्धि होती है।
ऊं ए क्लीं ह्लीं श्रीं ह्सौ: ऐं ह्सौ: श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं जूं क्लीं सं लं श्रीं र: अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋं लं लृं एं ऐं ओं औं अं अ: ऊं कं खं गं घं डं ऊं चं छं जं झं त्रं ऊं टं ठं डं ढं णं ऊं तं थं दं धं नं ऊं पं फं बं भं मं ऊं यं रं लं वं ऊं शं षं हं क्षं स्वाहा।
विधि : यह महाकाली का उग्र मंत्र है। इसकी साधना विंध्याचल के अष्टभुजा पर्वत पर त्रिकोण में स्थित काली खोह में करने से शीघ्र सिद्धि होती है अथवा श्मशान में भी साधना की जा सकती है, लेकिन घर में साधना नहीं करनी चाहिए। जप संख्या 1100 है, जिन्हें 90 दिन तक अवश्य करना चाहिए। दिन में महाकाली की पंचोपचार पूजा करके यथासंभव फलाहार करते हुए निर्मलता, सावधानी, निभीर्कतापूर्वक जप करने से महाकाली सिद्धि प्रदान करती हैं। इसमें होमादि की आवश्यकता नहीं होती।
यह मंत्र सार्वभौम है। इससे सभी प्रकार के सुमंगलों, मोहन, मारण, उच्चाटनादि तंत्रोक्त षड्कर्म की सिद्धि होती है।
स्वप्न वाराही सिद्धी
यह एक अनोखी साधना है जिसमे सफलता पाना आसान है परंतु इस साधना का उपयोग तभी करना चाहिये जब आप किसी कठिन समस्या मे फसे हुए हो और समस्या से बाहर निकलने का रास्ता ना मिले.
कभी भी इस साधना का गलत प्रयोग ना करे जैसे सट्टा या लौटरी का नंबर स्वप्न मे देखना.
साधना विधि:-
सोने से पूर्व जहा आप सोते है वहा के आस पास का जगहा साफ करके रखे और चद्दर भी साफ सुधरी होनी चाहिये.
सोने से पहिले 3 माला जाप 21 दिनो तक करना है.इससे आपको इस साधना मे सफलता मिलती है.जब किसी सवाल का जवाब प्राप्त करना हो तब 'स्वप्न वाराही" से प्रार्थना करके अपना सवाल बताये और 11 बार मंत्र का जाप करके निद्रा ले,इस विधान से आपको समस्या के निवारण हेतु जवाब स्वप्न मे मिल जायेगा.
मंत्र-
ll ओम ह्रीं नमो वाराहि अघौरे स्वप्न दर्शय दर्शय ठ: ठ: स्वाहा ll
3 माला रोज 21 दिनो तक जाप करना है.
दिशा,वस्त्र,माला का कोई विधान नही है इसलिये चिंतित ना हो.
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