महाकाली मंत्र
ऊं ए क्लीं ह्लीं श्रीं ह्सौ: ऐं ह्सौ: श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं जूं क्लीं सं लं श्रीं र: अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋं लं लृं एं ऐं ओं औं अं अ: ऊं कं खं गं घं डं ऊं चं छं जं झं त्रं ऊं टं ठं डं ढं णं ऊं तं थं दं धं नं ऊं पं फं बं भं मं ऊं यं रं लं वं ऊं शं षं हं क्षं स्वाहा।
विधि : यह महाकाली का उग्र मंत्र है। इसकी साधना विंध्याचल के अष्टभुजा पर्वत पर त्रिकोण में स्थित काली खोह में करने से शीघ्र सिद्धि होती है अथवा श्मशान में भी साधना की जा सकती है, लेकिन घर में साधना नहीं करनी चाहिए। जप संख्या 1100 है, जिन्हें 90 दिन तक अवश्य करना चाहिए। दिन में महाकाली की पंचोपचार पूजा करके यथासंभव फलाहार करते हुए निर्मलता, सावधानी, निभीर्कतापूर्वक जप करने से महाकाली सिद्धि प्रदान करती हैं। इसमें होमादि की आवश्यकता नहीं होती।
यह मंत्र सार्वभौम है। इससे सभी प्रकार के सुमंगलों, मोहन, मारण, उच्चाटनादि तंत्रोक्त षड्कर्म की सिद्धि होती है।
ऊं ए क्लीं ह्लीं श्रीं ह्सौ: ऐं ह्सौ: श्रीं ह्लीं क्लीं ऐं जूं क्लीं सं लं श्रीं र: अं आं इं ईं उं ऊं ऋं ऋं लं लृं एं ऐं ओं औं अं अ: ऊं कं खं गं घं डं ऊं चं छं जं झं त्रं ऊं टं ठं डं ढं णं ऊं तं थं दं धं नं ऊं पं फं बं भं मं ऊं यं रं लं वं ऊं शं षं हं क्षं स्वाहा।
विधि : यह महाकाली का उग्र मंत्र है। इसकी साधना विंध्याचल के अष्टभुजा पर्वत पर त्रिकोण में स्थित काली खोह में करने से शीघ्र सिद्धि होती है अथवा श्मशान में भी साधना की जा सकती है, लेकिन घर में साधना नहीं करनी चाहिए। जप संख्या 1100 है, जिन्हें 90 दिन तक अवश्य करना चाहिए। दिन में महाकाली की पंचोपचार पूजा करके यथासंभव फलाहार करते हुए निर्मलता, सावधानी, निभीर्कतापूर्वक जप करने से महाकाली सिद्धि प्रदान करती हैं। इसमें होमादि की आवश्यकता नहीं होती।
यह मंत्र सार्वभौम है। इससे सभी प्रकार के सुमंगलों, मोहन, मारण, उच्चाटनादि तंत्रोक्त षड्कर्म की सिद्धि होती है।
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