शाबर मन्त्र भाग-11 में शक्तिशाली शाबर मंत्रो, तंत्रों व यंत्रो व् टोटको को सम्मिलित किया गया है जो की ग्रामीण परिवेश में अक्सर प्रयोग में लाये जाते है जिनके द्वारा आप विवाह योग्य लडके या लड़की जिनकी विवाह के लिए उम्र कुछ ज्यादा ही हो गयी हो उनके विवाह सम्बन्धित बाधाओं को नष्ट करके उनके लिए वर या वधु निश्चित कर सकते है |
विवाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण सामाजिक परम्परा है | हर व्यक्ति चाहे वो लड़का हो या लडकी, सभी एक परिपूर्ण जोड़ा या वर/वधु चाहते है। व्यवस्थित और प्रेम विवाह का विचार एक सिक्के के दो पहलू हैं।
ऐसा माना जाता है कि व्यवस्थाबद्ध विवाह, जो कि भारतीय समाज में परंपरागत रूप से चलता है और आधुनिक युग में भी स्वीकार किया जाता है, जबकि प्रेम विवाह ऐसी चीज है जो पश्चिम के लोगों में शामिल है।
यह, हालांकि, एक काल्पनिक बात है। आज की दुनिया की बदलती गतिशीलता के कारण - हम दोनों ही को अपने चारों ओर प्रचलित देखते हैं। लेकिन यह एक व्यक्ति पर निर्भर है कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है।
इस पुस्तक में विवाह के लिए मन्त्र तन्त्र यंत्र व् टोटको का विवरण दिया गया है जो की कई बार आजमाएं गये है
और उनका परिणाम भी मनोवांछित आता है |
ऐसा माना जाता है कि व्यवस्थाबद्ध विवाह, जो कि भारतीय समाज में परंपरागत रूप से चलता है और आधुनिक युग में भी स्वीकार किया जाता है, जबकि प्रेम विवाह ऐसी चीज है जो पश्चिम के लोगों में शामिल है।
यह, हालांकि, एक काल्पनिक बात है। आज की दुनिया की बदलती गतिशीलता के कारण - हम दोनों ही को अपने चारों ओर प्रचलित देखते हैं। लेकिन यह एक व्यक्ति पर निर्भर है कि उनके लिए सबसे अच्छा क्या है।
इस पुस्तक में विवाह के लिए मन्त्र तन्त्र यंत्र व् टोटको का विवरण दिया गया है जो की कई बार आजमाएं गये है
और उनका परिणाम भी मनोवांछित आता है |
जिनके शादी के लायक पुत्र या पुत्री हो जाए और उन्हें मनोवांछित वधु या वर की प्राप्ति नही हो रही हो, विवाह की बातचीत बिच में ही रुक जाए, बार बार देक्खने पर भी विवाह का रास्ता नही बन पा रहा हो, विवाह में बाधा आ रही हो, चाहे बाधा का कारण पितृ शाप हो या ग्रहों का बुरा प्रभाव हो अथवा किसी ने विवाह का बंधन करा दिया हो, पति -पत्नी में अनबन रहती हो, दाम्पत्य जीवन निराशा में हो, प्रेम का आभाव हो, पति-पत्नी में बनती नही हो उन सबके लिए यह पुस्तक लाभदायक सिद्ध होगी |
भाषा: हिंदी मूल्य: 351/-
भाषा: हिंदी मूल्य: 351/-
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