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रविवार, 2 दिसंबर 2018

शाबर मन्त्र संग्रह भाग-15 श्री कामाक्षा देवी मन्त्र तन्त्र साधना | KAMAKSHA DEVI MANTRA TANTRA SADHNA

शाबर मन्त्र संग्रह भाग-15 श्री कामाक्षा देवी मन्त्र तन्त्र साधना


शाबर मन्त्र संग्रह भाग-15 श्री कामाक्षा देवी मन्त्र तन्त्र साधना

योनि मात्र शरीराय कुंजवासिनि कामदा।
रजोस्वला महातेजा कामाक्षी ध्येताम सदा॥
इस बारे में `राजराजेश्वरी कामाख्या रहस्यएवं `दस महाविद्याओंनामक ग्रंथ के रचयिता एवं मां कामाख्या के अनन्य भक्त ज्योतिषी एवं वास्तु विशेषज्ञ डॉ॰ दिवाकर शर्मा ने बताया कि अम्बूवाची योग पर्व के दौरान मां भगवती के गर्भगृह के कपाट स्वत ही बंद हो जाते हैं और उनका दर्शन भी निषेध हो जाता है। इस पर्व की महत्ता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरे विश्व से इस पर्व में तंत्र-मंत्र-यंत्र साधना हेतु सभी प्रकार की सिद्धियाँ एवं मंत्रों के पुरश्चरण हेतु उच्च कोटियों के तांत्रिकों-मांत्रिकोंअघोरियों का बड़ा जमघट लगा रहता है। तीन दिनों के उपरांत मां भगवती की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा एवं साधना की जाती है।

पौराणिक सत्य है कि अम्बूवाची पर्व के दौरान माँ भगवती रजस्वला होती हैं और मां भगवती की गर्भ गृह स्थित महामुद्रा (योनि-तीर्थ) से निरंतर तीन दिनों तक जल-प्रवाह के स्थान से रक्त प्रवाहित होता है। यह अपने आप मेंइस कलिकाल में एक अद्भुत आश्चर्य का विलक्षण नजारा है।

कामाख्या मंदिर असम की राजधानी दिसपुर के पास गुवाहाटी से 8 किलोमीटर दूर कामाख्या में है। कामाख्या से भी 10 किलोमीटर दूर नीलाचल पव॑त पर स्थित है। यह मंदिर शक्ति की देवी सती का मंदिर है। यह मंदिर एक पहाड़ी पर बना है  व इसका महत् तांत्रिक महत्व है। प्राचीन काल से सतयुगीन तीर्थ कामाख्या वर्तमान में तंत्र सिद्धि का सर्वोच्च स्थल है। पूर्वोत्तर के मुख्य द्वार कहे जाने वाले असम राज्य की राजधानी दिसपुर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नीलांचल अथवा नीलशैल पर्वतमालाओं पर स्थित मां भगवती कामाख्या का सिद्ध शक्तिपीठ सती के इक्यावन शक्तिपीठों में सर्वोच्च स्थान रखता है। यहीं भगवती की महामुद्रा (योनि-कुण्ड) स्थित है।


अम्बुवाची पर्व विश्व के सभी तांत्रिकोंमांत्रिकों एवं सिद्ध-पुरुषों के लिये वर्ष में एक बार पड़ने वाला अम्बूवाची योग पर्व वस्तुत एक वरदान है। यह अम्बूवाची पर्वत भगवती (सती) का रजस्वला पर्व होता है। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार सतयुग में यह पर्व 16 वर्ष में एक बारद्वापर में 12 वर्ष में एक बारत्रेता युग में 7 वर्ष में एक बार तथा कलिकाल में प्रत्येक वर्ष जून माह में तिथि के अनुसार मनाया जाता है। इस बार अम्बूवाची योग पर्व जून की 222324 तिथियों में मनाया गया।

कामाख्या-मन्त्र का महत्त्व कामाख्या तन्त्र’ के अनुसार सिद्धि की हानि’ एवं विघ्न-निवारण’ हेतु कामाख्या-मन्त्र’ का जप आवश्यक है। सभी साधकों को सभी देवताओं के उपासकों को कामाख्या-मन्त्र की साधना’ अवश्य करनी चाहिए। शक्ति के उपासकों के लिए कामाख्या-मन्त्र’ की साधना अत्यन्त आवश्यक है। यह कामाख्या-मन्त्र’ कल्प-वृक्ष के समान है। सभी साधकों को एकदो या चार बार इसका साधना एक वर्ष मे अवश्य करना चाहिए।

भाषा: हिंदी    मूल्य: 201 / -

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