शीघ्र विवाह होने के योग, उपाय व् टोटके
आज देश
में हर समाज व समुदाय बड़ी संख्या में विवाह योग्य युवक-युवतियों का विवाह न हो
पाने की समस्या से जूझ रहा है। कुछ दशक पहले तक यह समस्या इतनी बड़ी नहीं थी लेकिन
अब यह समस्या दिन ब दिन गहराती जा रही है। इस समस्या के सामाजिक पहलू पर चर्चा
करना समाज विज्ञानियों का काम हो सकता है लेकिन इसके ज्योतिषीय पहलू पर चर्चा करना
भी जरूरी है। जिस देश में विवाह को धार्मिक संस्कार मानकर विवाह पूर्व कुंडली
मिलान को जरूरी माना गया हो वहां अविवाहितों की संख्या बढऩे के ज्योतिषीय कारण व
समाधान पर चर्चा निहायत जरूरी है।
विवाह न होने के योग
Ø सप्तमेश शुभ युक्त न होकर कुंडली के 6, 8 या 12वें भाव में हो या नीच राशि, अस्तगत या बहुत कम या 28 या 29 डिग्री लेकर स्थित हो।
Ø सप्तमेश द्वादश भाव में स्थित हो व लग्नेश या चंद्र राशीश सप्तम भाव में हो।
Ø षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश सप्तम भाव में स्थित हो व सप्तमेश छ, 8,12वें भाव में स्थित हो।
Ø यदि
शुक्र व चंद्रमा दोनों किसी भाव में स्थित हो व शनि एवं मंगल से दृष्ट हो।
Ø लग्न, सप्तम एवं द्वादश भाव में पाप ग्रह स्थित हो व चंद्रमा पंचम भाव में निर्बल हो।
Ø शुक्र व बुध सप्तम भाव में एक साथ हो व पापग्रह युक्त या दृष्ट हो तो विवाह नहीं होता। यदि शनि दृष्ट हो तो विवाह बड़ी आयु में होता है।
Ø शुक्र व मंगल दोनों 5,7 या 9वें भाव में हो तो स्त्री सुख नहीं होता।
Ø शुक्र व सूर्य पंचम, सप्तम या नवम् भाव में स्थित हो।
Ø चंद्रमा से सप्तम में मंगल, शनि व शुक्र हो।
Ø शुक्र
पापयुक्त हो या शुक्र से सप्तम पाप ग्रह हो।
विवाह में देरी के ज्योतिषीय कारण
Ø सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनों के होने पर विवाह में लगातार देरी होती जाती है, विवाह प्राय: आधी उम्र में होता है।
Ø चौथा भाव या लग्न भाव मंगल युक्त हो, सप्तम में शनि हो तो कन्या की रुचि शादी में नहीं होती।
Ø सप्तम
भाव में शनि और गुरु शादी देर से करवाते हैं।
Ø चंद्रमा से सप्तम भाव में स्थित गुरु शादी देरी से करवाता है। यही बात चंद्रमा की राशि कर्क से भी लागू होती है।
Ø सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो, कोई शुभ ग्रह योगकारक न हो, तो पुरुष का विवाह देरी से होता है।
Ø जब सूर्य, मंगल या बुध लग्न या राशिपति को देखता हो और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो
तो आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है।
Ø लग्न, सप्तम या बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योगकारक नहीं हो, कुटुम्ब भाव में चंद्रमा कमजोर हो तो विवाह नहीं होता, अगर हो गया तो संतान नहीं होती।
Ø कन्या की
कुंडली में सप्तमेश या सप्तम भाव शनि से पीडि़त हो तो विवाह देर से होता है।
Ø राहु की
दशा में शादी हो, या राहु सप्तम भाव को पीडि़त कर रहा
हो, तो शादी होकर टूट जाती है, यह सब
दिमागी भ्रम के कारण होता है।
हस्तरेखाओं में विवाह में बाधक लक्षण
Ø हाथ की सबसे छोटी अंगुली यानी कनिष्ठिका अंगुली के नीचे स्थित विवाह रेखा जब ऊपर की ओर मुड़ी हो तब ऐसा जातक यह तय नहीं कर पाता कि उसे विवाह करना चाहिए या नहीं। कभी वह कल्पना के आधार पर तो कभी अपने विवाह में कुछ और अधिक पाने की लालसा में विलंब करता जाता है।
Ø यदि
विवाह रेखा मुड़ कर कनिष्ठिका अंगुली के मूल तक पहुंच जाती है तो ऐसा जातक जीवन भर
अविवाहित रहता है।
Ø यदि
विवाह रेखा हृदयरेखा की ओर झुकाव लिए हुए मुड़ी हुई प्रतीत होती है तो ऐसे जातक की
विवाह में कम रुचि रहती है। ऐसे जातक की विषय-भोग में आसक्ति कम होती है तथा उसमें
नैराश्य या वैराग्य की भावना अधिक रहती है।
विवाह होने
के योग, उपाय व् टोटके
Þ
एक अन्य उपाय के रूप में सोमवार रात 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता, इस उपाय के
लिये जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। इस उपाय को करने के लिये अगले दिन मंगलवार को
प्रात: सूर्योदय काल में एक सूखा नारियल लें, सूखे नारियल
में चाकू की सहायता से एक इंच लम्बा छेद कर लें। अब इस छेद में 300 ग्राम बूरा (चीनी पाउडर) तथा 11 रुपये का पंचमेवा
मिलाकर नारियल को भर देवें। यह कार्य करने के बाद इस नारियल को पीपल के पेड़ के
नीचे गड्ढा करके दबा देवें। इसके बाद गड्ढे को मिट्टी से भर देवें तथा कोई पत्थर
उसके ऊपर रख देवें। यह क्रिया लगातार 7 मंगलवार तक करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है। यह ध्यान रखना है कि
सोमवार की रात 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना है।
Þ
यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो: -
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के
आगे "ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः" मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला
पर करें! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें! तीन महीने तक हर गुरूवार को
मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें!
Þ
शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सात केले, सात
गौ ग्राम गुड़ और एक नारियल लेकर किसी नदी या सरोवर पर जाएं। अब कन्या को वस्त्र
सहित नदी के जल में स्नान कराकर उसके ऊपर से जटा वाला नारियल ऊसारकर नदी में
प्रवाहित कर दें। इसके बाद थोड़ा गुड़ व एक केला चंद्रदेव के नाम पर व इतनी ही
सामग्री सूर्यदेव के नाम पर नदी के किनारे रखकर उन्हें प्रणाम कर लें। थोड़े से
गुड़ को प्रसाद के रूप में कन्या स्वयं खाएं और शेष सामग्री को गाय को खिला दें।
इस टोटके से कन्या का विवाह शीघ्र ही हो जाएगा।
Þ
प्रेम विवाह में सफल होने के लिए यदि
आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो : शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके
विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं
लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें !
इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर
में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !
Þ जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए। तथा इस के साथ ही थोड़ा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है |
Þ
यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा
वाले 5 नारियल लें! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर
"ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः" मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो
पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती
जांयगी!
Þ
किसी भी शुक्लपक्ष की पूर्णिमा से यह
प्रयोग शुरू करें और अगली पूर्णिमा तक प्रयोग करना हैं निरंतर | सुबह 5 से 7 के बीच या शाम को 7
बजे यह प्रयोग करे | साबुत पान, सुपारी, हल्दी की गांठ और कुछ भी नहीं सभी 1-1 लेना हैं
| फूल, धतूरा और बेल की पत्ती भी आप ले सकते
हो | पान के अंदर हल्दी की गांठ और सुपारी रख कर पान की
पुड़िया बना ले (पान फटना नहीं चाहिए) पान ताजा होना चाहिए | ये
पान शिव पर चढ़ाने के बाद शिव से अच्छा वर/वधु मिलने की कृपा करे और शादी के लिए
प्राथना करे, इस बीच ॐ नमः
शिवाय का जाप भी कर सकते हैं | ऐसा नित्य 31 दिन तक करे |
कुंवारी कन्या के विवाह हेतु :
1. यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !
2. प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी |
3. जिस
कन्या के विवाह में लगातार बाधा आ रही हो तो उस कन्या को देवी कात्यायनी मंत्र का
जाप रोज 108 बार करना चाहिए। यह मंत्र निम्न प्रकार है-
ओम् कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी।नन्द गोप सुतं देवी पतिं मे कुरुते नम:।।
4. कन्या
की कुंडली में विवाह सुख के कारक ग्रह बृहस्पति हैं। शीघ्र विवाह के लिए बृहस्पति
का मंत्र जाप, दान, व्रत,
पूजादि से विशेष लाभ होता है। बृहस्पति का दिन गुरुवार है और केले
का पौधा इन्हें प्रिय है। बृहस्पति का रंग पीला है। शीघ्र विवाह और वैवाहिक सुख के
लिए कन्या को बृहस्पतिवार के दिन पीले वस्त्र धारण करने चाहिए, केले की पूजा करनी चाहिए और यदि संभव हो तो व्रत भी रखना चाहिए। केले का
सेवन बृहस्पतिवार को नहीं करना चाहिए। बृहस्पति मंत्र ओम् बृं बृहस्पति नम: का पाठ
करने से लाभ होता है।
Þ
यह उपाय उन व्यक्तियों को करना चाहिए जिन
व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है परन्तु विवाह सम्पन्न होने में बाधा आ रही
है। इस उपाय को करने के लिये शुक्रवार की रात आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ
ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार प्रात: स्नान करने के
बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें। Þ
गुरुवार को केले के वृ़क्ष के सामने गुरु
के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए तथा जल भी
अर्पित करना चाहिए। Þ
विवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये
प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए।
भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है। ऐसे
व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए। उपाय करने
वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बड़ों व बूढ़ों का अपमान नहीं करना चाहिए। Þ
जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना
हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेड़े पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए
तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड़ व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है। Þ
इसके अलावा शीघ्र विवाह के लिये एक प्रयोग
भी किया जा सकता है. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को किया जाता है। इस
प्रयोग में गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी इलायची का जोड़ा तथा
शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये। यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को
करना चाहिए। Þ
अगर किसी का विवाह कुंडली के मांगलिक योग
के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऐसे व्यक्ति को मंगलवार के दिन
चण्डिका स्तोत्र का पाठ और शनिवार व मंगलवार को सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।
इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है। Þ
पुरुष जातक को शीघ्र विवाह के लिए दुर्गा
सप्तशती के इस मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए-
पत्नी मनोरमां देहि मनोवृतानुसारिणीं,तारिणीं दुर्ग संसार सागरस्य कुलोद्भवाम्।
Þ
ऐसे लड़के जिनका विवाह नहीं हो रहा हो या
वे जिससे प्रेम करते हैं उससे प्रेम विवाह में लगातार विलंब हो रहा हो, उन्हें शीघ्र मनपसंद विवाह के लिए श्रीकृष्ण के इस मंत्र का 108 बार जप करना चाहिए-
क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।
विवाह के लिये शाबर मंत्र
मंत्र
ओम नमो संतोषी माई सत की सदा सहाइ बाबा गणपत की बैटड़ि रिद्धि-सिद्धि की जाइ भक्तों को
बक्से संतुष्टि नाम संतोषी कहलाई दुख हरो सुख करो मुरादें पूर्ण करो सिर पर मेहर
का हाथ धरो माई तेरी महिमा अपरंपार तोहे बारंबार नमस्कार चाले मंत्र फुरो वाचा
देखूं माता संतोषी तेरे इल्म का तमाशा
विधि- यह साधना शुक्ल पक्ष के पहले शुक्रवार से शुरू होगी रोज शुक्रवार से
शुरू होकर होकर एक माला जाप करना है मंत्र का और हर शुक्रवार व्रत रखना है और व्रत
में जो है खट्टी चीज नहीं खानी है और शुक्रवार से शुरू होकर के 21 दिन
तक मंत्र जो है मंत्र का जाप करते रहना है लगातार माता को गुड़ और चने का भोग
लगाना है घी का दीपक जलाना है धूपबत्ती जलानी है और एक माला सिर्फ मंत्र का जाप
करना है और शीघ्र विवाह के लिए संकल्प लेना है इससे विवाह संबंधित सारी दिक्कतें
खत्म हो जाएगी