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सोमवार, 23 मार्च 2020

NAVGRAH BADHA SHANTI SHABAR MANTRA | नवग्रह बाधा शांति शाबर मन्त्र

नवग्रह बाधा शांति शाबर मन्त्र | NAVGRAH BADHA SHANTI SHABAR MANTRA 

नवग्रह, जिन्हें हिंदू ज्योतिष में नौ खगोलीय पिंडों या ग्रहों के रूप में भी जाना जाता है, ज्योतिषीय गणना और व्याख्याओं के अभिन्न अंग हैं। नवग्रहों में शामिल हैं:

  • सूर्य (सूर्य): स्वयं, आत्मा और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • चंद्र (चंद्रमा): भावनाओं, मन और प्रवृत्ति को दर्शाता है।
  • मंगला (मंगल): ऊर्जा, आक्रामकता और शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।
  • बुध (बुध): बुद्धि, संचार और सीखने का प्रतीक है।
  • बृहस्पति (बृहस्पति): ज्ञान, ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करता है।
  • शुक्र (शुक्र): सुंदरता, प्रेम, रिश्ते और भौतिक संपदा का प्रतीक है।
  • शनि (शनि): अनुशासन, कड़ी मेहनत और कर्म पाठ का प्रतिनिधित्व करता है।
  • राहु: महत्वाकांक्षा, इच्छा और सांसारिक खोज का प्रतीक है।
  • केतु: आध्यात्मिकता, मुक्ति और पूर्व जन्म कर्म का प्रतिनिधित्व करता है।

ये नौ खगोलीय पिंड वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो व्यक्ति के जीवन और भाग्य के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं।

नवग्रह न केवल जातक के भविष्य का निर्धारण करते हैं बल्‍कि जातक के जीवन में अच्छे और बुरे का पल-प्रतिपल आदान-प्रदान भी करते हैं। ग्रह जातक के पूर्व कृत कर्म के आधार पर रोग, शोक, और सुख, ऐश्वर्य का भी प्रबंध करते हैं।
पीड़ित जातक को चाहिए कि वह पीड़ित ग्रह के दंड को पहचान कर उक्त ग्रह की अनुकूलता हेतु उक्त ग्रह का रत्न धारण करें और संबंधित ग्रह के मंत्र को जपें तो जातक सुखी बन सकता है। साथ में जातक संबंधित ग्रह के क्षेत्र का दान और उस ग्रह के रत्न की माला से जप करें तो जातक प्रसन्न व संपन्न होगा।
नवग्रह बाधा शांति शाबर मन्त्र | NAVGRAH BADHA SHANTI SHABAR MANTRA

|| ॐ गुरु जी कहे, 

चेला सुने, 

सुन के मन में गुने, 

नव ग्रहों का मंत्र, 

जपते पाप काटेंते, 

जीव मोक्ष पावंते, 

रिद्धि सिद्धि भंडार भरन्ते, 

ॐ आं चं मं बुं गुं शुं शं रां कें 

चैतन्य नव्ग्रहेभ्यो नमः 

इतना नव ग्रह शाबर मंत्र सम्पूरण हुआ, 

मेरी भगत गुरु की शकत, 

नव ग्रहों को 

गुरु जी का आदेश आदेश आदेश ||



इस मंत्र का 108 माला जप कर सिद्धि प्राप्त की जाती है | अगर नवरात्रों में दशमी तक 10-11 माला रोज़ जप किया जाये तो भी सिद्धि होती है | दीपक घी का, आसन रंग बिरंगा कम्बल का, किसी भी समय, दिशा प्रात काल पूर्व, मध्यं में उत्तर, सायं काल में पश्चिम की होनी चाहिए | हवन किया जाये तो ठीक नहीं तो जप भी पर्याप्त है | रोज़ 108 बार जपते रहने से किसी भी ग्रह की बाधा नहीं सताती है |

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