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रविवार, 26 फ़रवरी 2023

Holika Dahan 2023 Subh Mahurat and Tantra Mantra Upaay

 

  • Holi 2023 Mahurat 

  • होलिका दहन शुभ महूर्त 2023

  • 51 Tantra Upay for Holi 2023

  • 2023 होली के लिए विशेष महूर्त 

  • होली 2023 पर तन्त्र प्रयोग 

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  • होली के समृद्धि दायक तन्त्र और टोटके 

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होलिका दहन का शुभ मुहूर्त: होलिका दहन का दिन : 06 मार्च 2023, दिन मंगलवार 6 मार्च को शाम 4 बज कर 17 मिनट से  7 मार्च दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 09 रंगों की होली खेलने का दिन : 07मार्च 2023,  बुधवार   होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :          फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि दिन मंगलवार 6 मार्च को शाम 4 बज कर 17 मिनट पर शुरू होगी और समापन 7 मार्च दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 09 पर है. इस दौरान होलिका की पूजा करना लाभकारी रहेगा

वैसे तो हर त्यौहार का अपना एक रंग होता है जिसे आनंद या उल्लास कहते हैं लेकिन हरे, पीले, लाल, गुलाबी आदि असल रंगों का भी एक त्यौहार पूरी दुनिया में हिंदू धर्म के मानने वाले मनाते हैं। यह है होली का त्यौहार इसमें एक और रंगों के माध्यम से संस्कृति के रंग में रंगकर सारी भिन्नताएं मिट जाती हैं और सब बस एक रंग के हो जाते हैं वहीं दूसरी और धार्मिक रूप से भी होली बहुत महत्वपूर्ण हैं। मान्यता है कि इस दिन स्वयं को ही भगवान मान बैठे हरिण्यकशिपु ने भगवान की भक्ति में लीन अपने ही पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका के जरिये जिंदा जला देना चाहा था लेकिन भगवान ने भक्त पर अपनी कृपा की और प्रह्लाद के लिये बनाई चिता में स्वयं होलिका जल मरी। इसलिये इस दिन होलिका दहन की परंपरा भी है।  


होलिका दहन से अगले दिन रंगों से खेला जाता है इसलिये इसे रंगवाली होली और दुलहंडी भी कहा जाता है। जैसा कि हम सभी जानते है एवं शास्त्रों में भी उल्लेख है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को प्रदोषकाल में ही होलिका दहन किया जाता है। प्रतिपदा, चतुर्दशी और भद्राकाल में होली दहन के लिए सख्त मना है। फाल्गुन पूर्णिमा पर भद्रारहित प्रदोषकाल में होली दहन को श्रेष्ठ माना गया हैl होली पूजा का महत्व घर में सुख-शांति, समृद्धि, संतान प्राप्ति आदि के लिये महिलाएं इस दिन होली की पूजा करती हैं। होलिका दहन के लिये लगभग एक महीने पहले से तैयारियां शुरु कर दी जाती हैं। कांटेदार झाड़ियों या लकड़ियों को इकट्ठा किया जाता है फिर होली वाले दिन शुभ मुहूर्त में होलिका का दहन किया जाता है। 

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन होलिकादहन किया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक कहा जाता है। फिर इस दिन के अगले ही दिन होली का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं। इस वर्ष होलिका दहन 06 मार्च को और होली 07 मार्च को मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार, होली से 8 दिन पहले होलाष्टमक लग जाता है। होलाष्टक के दिन शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। आइए जानते हैं होलिका दहन का शुभ मुहूर्त।


होलिका दहन का शुभ मुहूर्त:

होलिका दहन का दिन : 06 मार्च 2023, दिन मंगलवार

6 मार्च को शाम 4 बज कर 17 मिनट से 

7 मार्च दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 09

रंगों की होली खेलने का दिन : 07मार्च 2023,  बुधवार

 

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :

फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि दिन मंगलवार 6 मार्च को शाम 4 बज कर 17 मिनट पर शुरू होगी और समापन 7 मार्च दिन बुधवार को शाम 6 बजकर 09 पर है. इस दौरान होलिका की पूजा करना लाभकारी रहेगा।



होलिका दहन - किवदंती और महत्त्व

होलिका दहन एक त्यौहार है जो बुराई के ऊपर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, उस किवदंती के कारण जो इसके साथ जुडी हुई है। होलिका दहन की कहानी शैतान के मजबूत होने के बावजूद ईमानदार और अच्छे की जीत के बारे में है।

होलिका दहन कहानी मूल रूप से हिरण्यकश्यपु नामक एक दुष्ट राजा, उसकी शैतान बहन होलिका और राजा के पुत्र प्रह्लाद के इर्द-गिर्द घूमती है।

जैसा कि किंवदंती है, राजा हिरण्यकशिपु को भगवान ब्रह्मा से वरदान मिला था कि वह मनुष्य या जानवर द्वारा, न दिन में या रात में, न अंदर या बाहर और न ही किसी गोला-बारूद से मारा जा सकता है। इससे राजा घमंडी हो गया और उसने सभी को आदेश दिया कि वह उसे ईश्वर मान ले और उसकी पूजा करे।

हालाँकि, उनके पुत्र प्रह्लाद ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया क्योंकि वह एक विष्णु भक्त था और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा।

इससे राजा बहुत क्रोधित हो गया और उसने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को मारने के लिए कहा। होलिका को अग्नि से प्रतिरक्षित होने का वरदान प्राप्त था। इसलिए वह प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में उस के साथ एक अलाव में बैठ गयी। हालाँकि, भगवान विष्णु ने होलिका को मार दिया क्योंकि उसने खुद को जला दिया था और प्रह्लाद आग से बिना एक निशान के भी जीवित बाहर आ गया ।

सर्वशक्तिमान में विश्वास बहाल हो गया क्योंकि बुराई नष्ट हो गई और पुण्य जीत गया। यही कारण है कि यह त्योहार भगवान विष्णु के भक्तों के लिए असीम धार्मिक श्रद्धा रखता है।



होलिका दहन - उत्सव समारोह

होलिका दहन का उत्सव और तैयारी वास्तविक त्यौहार से कुछ दिन पहले शुरू होती है। लोग अलाव के लिए चिता तैयार करने के लिए दहनशील सामग्री, लकड़ी और अन्य आवश्यक चीजों को इकट्ठा करना शुरू करते हैं।
कुछ लोग चिता के ऊपर एक पुतला भी रखते हैं जो एक तरह से शैतान होलिका का प्रतीक है।
होली समारोह के पहले दिन की पूर्व संध्या पर, होलिका का प्रतीक चिता को जलाया जाता है जो कि बुराई के विनाश का प्रतीक है। लोग अलाव के चारों ओर गाते और नाचते हैं। कुछ लोग आग के आसपास 'परिक्रमा' भी करते हैं।
होलिका दहन होली समारोह का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसके बाद अगले दिन धुलंडी होती है। यह बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है और सभी संस्कृतियों के लोगों को एक साथ लाता है।

51 Tantra Upay for Holi 2023 होली पर 51 तन्त्र प्रयोग सुख समृधि के सर्व कार्य सिद्धि तन्त्र मन्त्र और टोटके


51 Tantra Upay for Holi 2023 होली पर 51 तन्त्र प्रयोग सुख समृधि के

सर्व कार्य सिद्धि तन्त्र मन्त्र और टोटके 

१. होलिका दहन वाले दिन टोने-टोटके के लिए सफेद खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। इसलिए इस दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये। 
२. उतार और टोटके का प्रयोग सिर पर जल्दी होता है, इसलिए सिर को टोपी आदि से ढके रहें। 
३. टोने-टोटके में व्यक्ति के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए अपने कपड़ों का ध्यान रखें। 
४. होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा। 
 ५. मन्त्रो को चेतन करना होलिका दहन वाले दिन जब होलिका दहन हो चुका हो उस समय अपने घर से अग्नि लेकर जाये जो अग्नि पुरी तैयार हो मतलब अग्नि मे धुवा ना हो ऐसी अग्नि लेकर जाए किसी बर्तन में वो अग्नि वहां होलिका में डाल दे ओर दुसरी अग्नी होलिका से लेकर आये उस अग्नी मे जो होलिका से लेकर आये है अपने सभी मंत्रो को 11-11 या 21-21 बार या अधिक पढ़ कर हर मंत्र की 11-11 आहुतिया दे | अपने ईष्ट की 108 आहुतिया दे | अगर कोई उसकी अग्नी को चेतन रखना चाहे तो पुरे साल चेतन भी रख सकता है, नहीं तो उस अग्नी की भभुती को सभांल कर रखे किसी बिमारी में उसको पानी के साथ पी सकते है, मालिश भी कर सकते है | 
 ६. होली (पूर्णिमा) की रात्रि को स्थिर लग्न में मां काली की पंचोपचार पूजा कर निम्न मंत्र से 1008 आहुतियां, हवन सामग्री में काली मिर्च, पीली सरसों, भूत केशी मिलाकर- अग्नि में दें। प्रत्येक 108 आहुतियों के बाद पान के पत्ते पर सफेद मक्खन, मिश्री, 2 लौंग, 3 जायफल, 1 नींबू, 1 नारियल (गोला), इत्र लगी रूई, कपूर रखकर मां काली का ध्यान कर अग्नि में अर्पण करें। यह आहुति 10 बार अग्नि में अर्पित करें। यह प्रयोग समस्त नजर दोष, तंत्र एवं रोग बाधाओं को समाप्त कर देता है। मंत्र: ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै बिच्चै, ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै बिच्चै ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।’’ 
 ७. यदि किसी ने आपके व्यवसाय अथवा निवास पर किसी प्रकार की कोई तन्त्र क्रिया करवा रखी है तो आप यह उपाय अवश्य करें। होली की रात्रि में जिस स्थान पर होलिका दहन हो, उस स्थान पर एक गड्ढा खोदकर उसमें 11 अभिमन्त्रित धनकारक कौड़ियाँ दबा दें। अगले दिन कौड़ियों को निकालकर व्यवसाय स्थल की मिट्टी के साथ नीले वस्त्र में बाँधकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। तन्त्र क्रिया नष्ट हो जाएगी। यदि आपके लिए उपरोक्तानुसार प्रयोग करना सम्भव न हो पाए तो इसे दूसरे रूप में भी किया जा सकता है। होलिका दहन के पश्चात कण्डे, झाड़ियाँ तथा अन्य सामग्री को जलाने से जो राख बनती है, उसमें से थोड़ी राख किसी पात्र में डालकर घर ले आएं। निवास स्थान के बाहर फर्श, आँगन आदि पर अभिमन्त्रित 11 कौड़ियाँ रखकर उसके ऊपर लाई गई राख डाल दें। सुबह राख में से कौड़ियों को निकाल लें। राख को भी समेटकर किसी कपड़े में बाँध लें। अब बहते हुए जल में पहले कौड़ियों को प्रवाहित करें और फिर राख को भी जल में बहा दें। यह उपाय अत्यन्त प्रभावी है, जो शीघ्र परिणाम देता है। 
८. यदि आप किसी ग्रह की पीड़ा भोग रहे हैं तो होलिका दहन के समय आपको देशी घी में भिगोकर दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता होलिकाग्नि में अर्पित करना चाहिए। अगले दिन होली की थोड़ी-सी भस्म (राख) लाकर अपने शरीर पर पूरी तरह मल लें और एक घण्टे बाद गरम पानी से स्नान कर लें। आप ग्रह-पीड़ा से तो मुक्त होंगे ही, साथ ही यदि आप पर किसी ने कोई अभिचार प्रयोग किया है, तो आप उस से भी मुक्त हो जाएंगे। ऐसा करना सम्भव ना हो तो होली के बाद कोई भी सर्वार्थ सिद्धि योग, जिस दिन पड़ता हो, उस दिन होली की राख को बहते जल या किसी नदी या तालाब में विसर्जित कर दें। आप ग्रह बाधा से मुक्त हो जाएँगे।  

 

९. यदि शनि ग्रह के कारण आपको परेशानियाँ आ रही हैं या कार्यों में व्यवधान आ रहा है तो होली के दिन, होलिका दहन के समय काले घोड़े की नाल या शुद्ध लोहे का छल्ला बनवाकर होली की दो परिक्रमाएँ करने के बाद होलिकाग्नि में डाल दें। दूसरे दिन होलिकाग्नि शान्त हो जाने बाद उस छल्ले को निकाल कर ले आएं। उस छल्ले को कच्चे दूध (गाय का हो तो उत्तम) एवं शुद्ध जल से धोकर शनिवार के दिन सायंकाल या शनि की होरा में दाहिने हाथ की मध्यमा अँगुली में शनिदेव जी का मन्त्र पढ़ते हुए धारण कर लें। आपकी परेशानियाँ और व्यवधान धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे। 


 १०. व्यवसाय में सफलता के लिए आपके निवास के पास जब होली जल जाए, तब आप होलिका की थोड़ी-सी अग्नि ले आएं। फिर अपने निवास अथवा व्यवसाय स्थल अथवा दुकान के आग्नेय कोण में उस अग्नि की मदद से सरसों के तेल का दीपक जला दें। इस दीपक की मदद से एक दूसरा दीपक जलाएं और इसे मुख्य द्वार के बाहर रख दें। जब दीपक जलकर ठण्डे हो जाएं, तब इन्हें उठाकर किसी चौराहे पर ले जाकर फोड़ दें और बिना पीछे मुड़कर देखे सीधे घर वापस आ जाएं। भीतर आने से पहले अपने हाथ—पाँव अवश्य धो लें। इस उपाय से आपके निवास व व्यवसाय स्थल अथवा दुकान की सारी नकारात्मक ऊर्जा जलकर समाप्त हो जाएगी। इससे आपके व्यवसाय अथवा दुकान में आर्थिक सफलता मिलेगी। 
 ११. होली की रात्रि को स्थिर लग्न में पीपल के पांच अखंडित (साबुत) पत्ते लेकर, पत्तल में रखें, प्रत्येक पत्ते पर पनीर का एक टुकड़ा तथा एक रसगुल्ला (सफेद) रखें। आटे का दीपक बनाकर, सरसों का तेल भरकर जलायें। मिट्टी की कुलिया (बहुत छोटा-सा कुल्हड़) में, जल-दूध-शहद और शक्कर मिलाकर, भक्ति-पूर्वक सारा सामान पीपल पर चढ़ाकर, हाथ जोड़कर श्रद्धा से आर्थिक संकट दूर होने की प्रार्थना करें, वापसी में पीछे मुड़कर न देखें। यही प्रयोग आने वाले मंगल तथा शनिवार को पुनः करें। 
१२. इस उपाय को अगर होली की रात कर में लिया जाए तो इसके प्रभाव से आप कभी भी आर्थिक समस्या में नहीं आएंगे। इसके लिए होली की रात्रि में सबसे पहले अपने घर में तथा यदि कोई व्यावसायिक प्रतिष्ठान हो तो वहाँ भी शाम को सूर्यास्त होने के पूर्व दीयाबत्ती अवश्य करें। घर व प्रतिष्ठान की सारी लाइट जला दें। घर के पूजा-स्थल के सामने खड़े होकर लक्ष्मी जी का कोई भी मन्त्र 11 बार मानसिक रूप से जपें। फिर घर या प्रतिष्ठान की कोई भी कील लाकर जिस स्थान पर होली जलनी है, वहाँ की मिट्टी में दबा दें। अगले दिन उस कील को निकालकर मुख्यद्वार के बाहर की मिट्टी में दबा दें। इस उपाय से आपके घर या प्रतिष्ठान में किसी भी तरह की नकारात्मक शक्ति का प्रवेश नहीं होगा और आप आर्थिक संकट में भी कभी नहीं आएँगे। यदि यह करना सम्भव ना हो तो आप इसे इस तरह भी कर सकते हैं कि होली की रात्रि में होली जलने के बाद आप बनने वाली थोड़ी गर्म राख घर ले आएं। फिर घर के मुख्य द्वार के अन्दर की तरफ ज़मीन पर कील रख कर उसके ऊपर होली की राख डाल दें और ऊपर से किसी चीज़ से ढँक दें। दूसरे दिन कील को उपरोक्त विधि के अनुसार प्रयोग करें और राख को जल में प्रवाहित कर दें। इस से भी आपको उपरोक्तानुसार समुचित लाभ प्राप्त होगा। 

१३. यदि आपको बार-बार आर्थिक हानि हो रही हो तो आप होलिका दहन की शाम को अपने मुख्य द्वार की चौखट पर दो मुखी आटे का दीपक बनाएं। फिर चौखट पर थोड़ा-सा गुलाल छिड़क कर, दीपक जलाकर उस पर रख दें। दीपक जलाते समय मानसिक रूप से अपनी आर्थिक हानि रोकने की प्रार्थना ईश्वर से अवश्य करें। दीपक ठण्डा हो जाने पर उसे जलती होलिकाग्नि में डाल दें। 

 १४. यदि आपके परिवार अथवा परिचितों में से कोई व्यक्ति अधिक समय से अस्वस्थ हो तो उसके लिए यह उपाय लाभकारी होगा। होली की रात्रि में सफ़ेद वस्त्र में 11 अभिमन्त्रित गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े तथा 11 धनकारक कौड़ियाँ बाँध लें। कपड़े पर हारसिंगार तथा चन्दन का इत्र लगाकर रोगी पर से सात बार उसारकर किसी शिव मन्दिर में अर्पित कर दें। व्यक्ति तुरन्त स्वस्थ होने लगेगा। यदि बीमारी गम्भीर हो तो यह क्रिया शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरम्भ करके लगातार सात सोमवार तक करते रहें। 

केवल इस एक मन्त्र से सभी रोगों का नाश करें

 १५. अगर आपको ऐसा लगता है कि किसी व्यक्ति ने आप पर या परिवार के किसी सदस्य पर कोई बड़ा तन्त्र-प्रयोग करवाया है तो मूल प्रयोग को करने के साथ ही थोड़ी मिश्री भी होलिकाग्नि में समर्पित करें। अगले दिन होली की राख लाकर, चाँदी के ताबीज़ में भर कर लाल या पीले धागे में, गले में धारण करें या करवाएं। 

 १६. यदि आप अपना कोई विशेष कार्य सिद्ध करना चाहते हों अथवा कोई व्यक्ति गम्भीर रूप से रोगग्रस्त हो तो होली की रात्रि में किसी काले कपड़े में काली हल्दी तथा खोपरे में चीनी का बूरा भरकर पोटली बनाकर पीपल के वृक्ष के नीचे गड्ढा खोदकर दबा दें। फिर पीपल के वृक्ष को आटे से बना सरसों के तेल का दीपक, धूप-अगरबत्ती तथा मीठा जल अर्पित करें। फिर हाथ जोड़कर रोगमुक्ति हेतु अथवा अपने किसी विशेष कार्य सिद्धि हेतु मानसिक रूप से प्रार्थना करें। इसके बाद 7 अभिमन्त्रित गोमती चक्र पीपल के वृक्ष पर ही छोड़कर पीछे देखे बिना ही घर आ जाएं। शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को पीपल के वृक्ष के समक्ष जाकर सिर्फ़ उपरोक्त प्रकार से दीपक व धूप-अगरबत्ती करके छोड़े गए गोमती चक्र ले आएं। जब तक कार्य सिद्ध न हो, वे गोमती चक्र अपनी ज़ेब में ही रखें अथवा जो व्यक्ति रोगग्रस्त हो, उसके सिरहाने रख दें। कुछ ही समय में आपके कार्य सिद्ध होने लगेंगे अथवा अस्वस्थ व्यक्ति स्वास्थ्य-लाभ करेगा। 
 १७. यदि आप किसी प्रकार की आर्थिक समस्या से ग्रस्त हैं, तो होली पर यह उपाय अवश्य करें। होली की रात्रि में चन्द्रोदय होने के बाद अपने निवास की छत पर अथवा किसी खुले स्थान पर आ जाएं। फिर चन्द्रदेव का स्मरण करते हुए चाँदी की एक प्लेट में सूखे छुहारे तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित करें। अब दूध से अर्घ्य प्रदान करें। अर्घ्य के बाद कोई सफेद प्रसाद तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर अर्पित करें। भगवान चन्द्रदेव से आर्थिक संकट दूर कर समृद्धि प्रदान करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बाँट दें। आप प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रदेव को दूध का अर्घ्य अवश्य दें। कुछ ही दिनों में आप अनुभव करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि बढ़ रही है।  

 

१८. यदि आपके धन को कोई व्यक्ति वापिस नहीं कर रहा है तो जिस दिन होलिका दहन होना है, उस दिन होली जलने वाले स्थान पर जाकर, उस स्थान पर अनार की लकड़ी की कलम से उस व्यक्ति का नाम लिख कर, होलिका माता से अपने धन की वापसी की प्रार्थना करते हुए उसके नाम पर हरा गुलाल इस प्रकार छिड़क दें, जिस से पूरा नाम गुलाल से ढँक जाए अर्थात नाम दिखाई ना दे। इस उपाय के बाद कुछ ही समय में वह आपके धन को वापिस कर देगा। 

 १९. आपने देखा होगा कि किसी निवास या व्यवसाय स्थल पर अचानक ही कुछ अजीबो-गरीब घटनाएँ घटित होती हैं अथवा उस स्थान पर जो व्यक्ति प्रवेश करता है, उसके मन में डर के साथ अजीब-सी घुटन होने लगती है अथवा बिना बात के नुकसान या झगड़े होने लगते हैं। यदि आपके साथ ऐसा कुछ होता है, तो समझ जाएं कि आप पर अथवा उस स्थान पर किसी प्रकार की कोई ऊपरी बाधा का प्रभाव है। जब तक आप उस बाधा से मुक्ति नहीं पा लेंगे, तब तक आप ऐसे ही परेशान होते रहेंगे । इस बाधा से मुक्ति पाने के लिए आप यह उपाय अवश्य करें। जिस स्थान पर यह बाधा है, उस स्थान के सर्वाधिक निकट जो भी वृक्ष हो, उसको देखें। यदि पीपल का वृक्ष हो, तो बहुत अच्छा है। होली के पूर्व शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को अँधेरा होने पर आप उस स्थान पर जाएं, जिस स्थान पर वृक्ष है। फिर ताँबे के एक पात्र में दूध में थोड़ी-सी शक्कर मिश्रित करें और खोए के तीन लड्डू, थोड़ी-सी साबूदाने की खीर, 11 हरी इलायची, 21 बताशे, दूध से बनी थोड़ी-सी कोई भी अन्य मिठाई तथा एक सूखे खोपरे में बूरा भरकर उसके मध्य लौंग का एक जोड़ा रखकर उस वृक्ष की जड़ में अर्पित करें। साथ ही 21 अगरबत्ती भी अर्पित करें। यही क्रिया किसी मन्दिर में लगे हुए पीपल के वृक्ष पर भी करें। प्रथम बार के प्रयोग से ही आप परिवर्तन अनुभव करेंगे। यदि समस्या अधिक है, तो यह क्रिया 3, 5, 7 या 11 सोमवार तक करें। आप निश्चित रुप से ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे। परन्तु इतना ध्यान रखें कि बाधा से मुक्ति के बाद आप प्रभु श्री हनुमानजी के नाम पर कुछ दान अवश्य करें। 
 २०. यदि आपको ऐसा लगे कि आपके निवास अथवा व्यवसाय स्थल पर कोई ऊपरी बाधा है, तो आप इस उपाय द्वारा उस बाधा से मुक्ति पा सकते हैं। होली की रात्रि में गाय के गोबर से एक दीपक बनाएं। इसके बाद उसमें सरसों का तेल, लौंग का जोड़ा, थोड़ा-सा गुड़ और काले तिल डाल दें। फिर दीपक को अपने मुख्य द्वार के बिल्कुल मध्य स्थान पर रख दें। द्वार की चौखट के बाहर आठ सौ ग्राम काली साबूत उड़द को फैला दें। अब द्वार के अन्दर आकर दीपक को जला दें और द्वार बन्द कर दें। अगले दिन ठण्डा दीपक उठाकर घर के बाहर रख दें और झाड़ू की मदद से सारी उड़द को समेट लें। फिर ठण्डा दीपक और उड़द को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। तत्पश्चात् घर वापस आ जाएं तथा हाथ-पैर धोकर ही घर में प्रवेश करें। इसके बाद आप अगले शनिवार से पुनः यही क्रिया लगातार तीन शनिवार करें। यदि आपको लगे कि बाधा अधिक बड़ी है, तो अगले शुक्ल पक्ष से पुनः तीन बार यह क्रिया दोहराएं। कार्य सिद्ध हो जाने पर शनिवार को ही किसी भी पीपल के वृक्ष में मीठे जल के साथ धूप-दीप अर्पित करें। इस उपाय द्वारा आप ऊपरी बाधा से मुक्ति पा लेंगे। 

 २१. धन-संचय के लिए होली के दिन कौड़ी का पूजन कर लाल वस्त्र में बाँध कर किसी अलमारी या संदूक में रख दें। इस दिन जो व्यक्ति कौड़ी अपने पास रखता है, उसे वर्ष भर आर्थिक अनुकूलता बनी रहती है। 

 २२. होली की मध्य रात्रि में एक नीबू में एक लौंग लगाकर एक लाल वस्त्र पर सामने रखकर धूप दीप जलाकर नींबू पर भैरव का आवाहन करे फिर भैरव मंत्र का 3 माला जप करें ,लोबान गोगुल की धूनी अवश्य दे सिंदूर भी चढ़ाये,भोग में कुछ मीठे के साथ एक पात्र में शराब भी दे । इतना कुछ करने के बाद एक सुई नीम्बू के आर पार कर के प्रार्थना करने के उपरांत नीम्बू को घर से बाहर ले जा कर किसी चौराहे पर रख दे ।वापस आते वक्त पीछे मुड़ कर न देखे सीधे घर चले आये। मंत्र "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रों क्रां क्रीं क्रों कालभैरवाय फट " इस प्रयोग से भगवान भैरव जीवन के समस्त दुख पीड़ा ,शत्रु नष्ट कर देते है ,कार्य व्यापार की बाधाएं नष्ट हो जाती है । इस प्रयोग के बाद शांति मन्त्र से घर मे जल छीटे। इस प्रयोग में रक्षा मन्त्र का प्रयोग अवश्य करें क्योंकि ये बहुत ही उग्र प्रयोग है । 

२३. मध्य रात्रि में एक नए काले कपड़े में 5 नीम्बू एक सूखा नारियल 5 लौंग 5 सुपारी ,थोड़ी काली सरसो ,इतना सामान रखकर भैरव पूजा कर के होलिका में डाल आये इससे घर परिवार की समस्त परेशानिया ग्रह पीड़ा नष्ट हो जाएगी |

२४. होलिका दहन के बाद इसकी राख को घर के चारो तरफ और दरवाजे पर छिड़कना चाहिए। इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है। होलिका दहन के अगले दिन होलिका की राख से पुरुष तिलक लगाएं और स्त्रियां ये राख अपनी गर्दन पर लगाएं। इस उपाय से सभी प्रकार की बुरी नजर से रक्षा हो सकती है।

२५. होली की रात एक काला कपड़ा लें, उसमे काले तिल, 7 लौंग, 3 सुपारी, 50 ग्राम सरसों और थोड़ी सी मिट्टी लेकर एक पोटली बना लें। इसे खुद पर से 7 बार वार लें और होलिका दहन में डालें। इससे आपके आस पास स्थित सारी बुरी नजर दूर हट जाएगी।

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