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शनिवार, 18 नवंबर 2017

शाबर मंत्र साधना नियम

आज मैं सभी शाबर मंत्रों के साधको को वो नियम बताता हू जिनके कारण उनकी साधना सफल असफल होती है।
कुछ साधको को शाबर तंत्र के प्राथमिक व अनिवार्य नियमों के विषय में पता ही नही होता और वे शुरू कर देते है साधना करना बिल्कुल वैसे ही कि बिच्छू का मन्त्र पता नही और सांप के बिल में हाथ डालना और नतीजा ये रहता है कि साधना सफल नही होती और फिर साधक मन्त्र शक्ति पर शंका करने लगता हैं। और साथ ही साधक का आत्मविश्वास भी टूटता है। आप जब मुझसे जुड़े हो तो मैं यही चाहता हूँ कि आप किसी भी तरह शाबर मंत्र साधना के नियम से वंचित रहे और साधना की सिद्धि में असफलता हाथ लगें।



1.  शाबर तंत्र का पहला नियम है कि ये एक गुप्त विद्या है और शुरू से ही गुरु शिष्य के बीच केवल मौखिक रूप में ही विद्यमान रहती थीं। इसलिये इसके बारे मे आप केवल अपने गुरू के अलावा किसी अन्य को अपनी साधना या साधना के दौरान होनी वाली अनुभूतियों को किसी अन्य को न बताये
चाहे वो कोई हो चाहे कुछ हो सपने तक किसी को नही बताये
यदि ऐसा किया जाता है तो जो अनुभूति मिल रही है वो बन्द हो सकती है साधना असफल हो सकती है और उग्र देव की साधना मे प्राण तक जाने का खतरा होता है और मानसिक विकृति भी सम्भव है इसलियें किसी से भी कुछ शेयर न करे सिवाय गुरू के।

2.  दूसरा नियम गुरू द्वारा प्रदान किये गये मंत्रो को ही सिद्ध करने की कोशिश करे। अगर अभी तक आपने कोई गुरु धारण नही किया है, और आप शाबर मंत्र साधना करना चाहते है तो आप शाबर मंत्र भाग 1 देख सकते हैं उसमें अनुभूत और प्रमाणिक विधि दी गयी है बिना गुरु के मन्त्र साधना करने की।

3.  शाबर मंत्र साधना को किसी भी धर्म, जाति, वर्ण, आयु का पुरुष या स्त्री कोई भी कर सकता है। शाबर मन्त्र साधना में जाति या धर्म का कोई बंधन नही माना जाता है और फिर आज शबर मन्त्रो में ही हमें सब धर्मो का नाम एक ही साथ देखने को मिलता हैं | कोई भी व्यक्ति जो शाबर मन्त्रो पर विश्वास, निष्ठा, लगन रखता है, देवी देवताओं पर विश्वास रखता है वह ये साधनायें कर सकता है |


4.  शाबर मन्त्रों की साधना में गुरु की इतनी आवश्यकता नहीं रहती, क्योंकि इनके प्रवर्तक स्वयं सिद्ध साधक, तांत्रिक , भक्त रहे हैं। तथा इनका निर्माण भी आमजन, साधारण व्यक्ति के हितों को ध्यान में रखकर ही किया गया था | जिससे की कोई भी इनका उपयोग करके अपना मनोरथ सिद्ध कर सके व अपनी परेशानीयों का हल कर सके |


5.  शाबर मन्त्र साधना में वैसे तो गुरु का कोई मुख्य महत्व नहीं होता क्योंकि लगन, विश्वास, दृढ़ता, पवित्रता आदि ही मुख्य गुर हैं, जो आपको साधना में सफलता तक ले जाती हैं फिर भी अगर कोई निष्ठावान् साधक गुरु बन जाए, तो कोई आपत्ति नहीं क्योंकि वह किसी होनेवाले नुकसान से वह बचा सकता है। तथा हमारा उचित मार्गदर्शन कर सकता हैं | शाबर मन्त्र साधना के अतिरिक्त साधनाओ में गुरु का तात्पर्य एक ऐसे व्यक्ति से है जो आपको भी जानता है और देवताओं को भी जानता है| वह साधना के मार्ग पर चला है इसलिये आपको वह मार्ग बता सकता है | मंत्र साधनाओं से शरीर में उर्जा का संचार होने लगता है, और इस उर्जा को सही दिशा में ले जाना जरूरी होता है जो केवल और केवल गुरु ही कर सकता है | गुरु भी पहले शिष्य होता है, वह अपने गुरु के सानिध्य में साधना कर गुरुत्व को प्राप्त होता है |

6. साधना काल मे यानि जितने दिन साधना करनी है उतने दिन ब्रह्मचर्य रखे शारीरिक सम्बंध न बनाये (अत्यधिक महत्वपूर्ण हो तब एक आध बार मे कोई परेशानी नहीं), मानसिक ब्रह्मचर्य के टूटने की चिंता नही करे इस पर किसी का वश नही है जैसे नाइट फॉल आदि।

7. साधना के दौरान कमरे मे पंखा कूलर न चलाये ये तीव्र आवाज करते है जिनसे ध्यान भंग होता है। एसी रूम मे बैठ सकते है या पंखा बहुत स्लो करके बैठे। सबसे अच्छा यही है कि पंखा न चलाये क्योकि साधना के दौरान होने वाली आवाज या किसी भी प्रकार की हलचल को अाप पंखे की आवाज मे सुन नही पाते हो और साथ ही मन्त्र जप पूर्ण होने से पहले ही दीपक बुझने का खतरा होता है।

8.  कमरे मे आप बल्ब भी बन्द रखे क्योकि ये पराशक्तियॉ सूक्ष्म होती है इने तीव्र प्रकाश से प्रत्यक्ष होने मे दिक्कत होती है।
9. जप से पहले जिस की साधना कर रहे हो उसे संकल्प लेते समय जिस रूप यानि मॉ बहन पत्नी दोस्त दास रक्षक जिस रूप मे करे उसका स्पष्ट उल्लेख करे ताकि देवता को कोई दिक्कत न हो और वो पहले दिन से आपको खुलकर अनुभूति करा सके।

10. जाप के समय ध्यान मंत्र की ध्वनि पर या नाभि, आज्ञाचक्र पर ऱखे। कमरे मे होने वाली उठापटक या किसी भी तरह की आवाज की तरफ ध्यान नही दे।

11. कोई भी उग्र साधना करने पर सबसे पहले रक्षा मंत्रो द्वारा अपने चारो और एक घेरा खींच ले और शरीर रक्षा मन्त्र या सुरक्षा कवच का भी जप करें।

12. कवच चाकू , लोहे की कील , पानी , आदि से अपने चारो और मंत्र पढते हुये घेरा खीचे।

13. जाप के बाद भूलचूक, किसी प्रकार की भौतिक वस्तु की कमी, अपराधो के लिये क्षमा अवश्य माँगे।

14. जाप के बाद उठते समय एक चम्मच पानी आसन के कोने के नीचे गिराकर उस पानी को माथे से अवश्य लगाये इससे जाप सफल रहता है।

15. देवता प्रत्यक्षीकरण साधना के दौरान भय न करे। ये शक्तियाँ डरावने रूपो मे नही आते अप्सरा यक्ष यक्षिणी परी गन्धर्व विधाधर जिन्न आदि के रूप डरावने नही है मनुष्यो जैसे है आप इनकी साधना निर्भय होकर करे।

16. यक्षिणी जिस रूप मे सिद्ध की जाती है उस रूप को थोडी दिक्कत रहती है लेकिन ये उने मारती नही है डरावने रूप भी नही दिखाती कुछ यक्षिणी कोई भी कष्ट नही देती
अतएव आप निर्भय होकर इनकी साधना कर सकते है।

17.  सबसे जरूरी बात जो भी साधना सिद्ध होती है या सफल होती है तो पहले या दूसरे दिन प्रकृति मे कुछ हलचल हो जाती है यानि कुछ सुनायी देता है या कुछ दिखायी देता है या कुछ महसूस होता है यदि ऐसा न हो तो साधना बन्द कर दो वो सफल नही होगी लम्बी साधना जैसे 40 या 60 दिनो वाली साधना मे सात दिन मे अनुभूति होनी चाहिये

18. साधना के लिये आप जिस कमरे का चुनाव करे उसमे साधना काल तक आपके सिवा कोई भी दूसरा प्रवेश नही करे
कमरे मे कोई आये जाये ना सिवाय तुम्हारे।

19. साधना काल मे लगने वाली सूखी सामग्री का पूरा इंतजाम करके बैठे।

20. फल फूल मिठाई हमेशा प्रतिदिन ताजे प्रयोग करे।

21. पूरी श्रद्धा विश्वास एकाग्रता से साधना करे ये सफलता की कुंजी हैं।

22. ये पराशक्तियॉ प्रेम की भाषा समझती हैं इसलिये आप जिस भाषा का ज्ञान रखते है इनकी उसी भाषा मे पूजन ध्यान प्रार्थना करे इने संस्कृत या हिन्दी या अंग्रेजी से कोई मतलब नही है अगर आप गुजराती हो तो आप पूरा पूजन गुजराती मे कर सकते है अगर आप मराठी हो तो पूरा पूजन मराठी मे कर सकते हो कोई दिक्कत नही होगी।

23. मन्त्र के देवता महान शक्तियॉ है इसलिये हमेशा इनसे सम्मान सूचक शब्दो मे बात करे।

24. साधना कोई वैज्ञानिक तकनीक नही है जैसा आप लोगो को बताया जा रहा है अगर ऐसा होता तो अब तक भूत प्रेत का अस्तित्व वैज्ञानिक साबित कर चुके होते, ये एक जीवित शक्तियो की साधना है जिसमे देवता का आना ना आन उस देव पर भी निर्भर करता है कि आपसे वो कितना खुश है।

25. ऐसा कभी नही होगा कि कोई भी 11 दिन 21 माला का जाप बिना श्रद्धा विश्वास कर दे और अप्सरा, जिन्न, भूत प्रेत, देवी देवता आदि उसके समक्ष आकर खडी हो जाये।

26. मंत्रो की ध्वनि का जीवित व्यक्ति के श्रद्धा विश्वास जाप करने पर ही वातावरण मे प्रभाव होता है, ऐसा नही है कि 108 टेपरिकार्ड गायत्री मंत्र के चलाये जाये और माँ गायत्री उन टेपरिकार्ड को वरदान देने आ जाये अगर ये ध्वनि से उतपन्न होती तो अवश्य आती, मगर ये शक्तियां भाव, श्रद्धा, सेवा से खुश होकर ही आती है या अपना होने का अहसास कराती है।
आशा करता हूँ कि यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 
अगर आपको यह लेख पसन्द आये तो इसे जरूर शेयर करें।

2 टिप्‍पणियां:

Sarvananda Almelkar ने कहा…

Guruji mera kohi guru nai hai mai be Tantra mantra siddi aur pratyakshakaran sadhan karsaktahu kya guruji please boliye Namskar jai guru dev

suvarna naidu ने कहा…

नमस्ते गुरुजी. सादर प्रणाम
मैने अपने मन से हि गुरु गोरक्षनाथ को अपना गुरु माना है| ४ सालोंसे मै नवनाथ ग्रंथका पाठ महिने मे एक बार करती हुं| लेकीन मै कोनसे मंत्र का जाप करू यह समझ नही पा रही हुं | क्या आप मुझे मार्गदर्शन कर सकते हो |

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